बापू
गुलामी नहीं सहेंगे, ठाने बापू,
हक के लिये लड़ना जाने बापू।
गर स्वाभिमान से जीना है तो,
सर्वोदय का रास्ता माने बापू।।
सत्य, अहिंसा के थे वह पुजारी,
कई रातें उन्होंने जेल में गुजारीं,
जन-जन में था अलख जगाया,
अंग्रेजों को जवाब दी करारी।।
मानव सेवा को सत्याग्रह चलाया,
गोरों को शांति से मार देश भगाया।
धरती, अंबर करें उनका गुणगान,
मिली स्वतंत्रता शुभ दिन आया।।
साबरमती आश्रम को बसाया,
हरिजन को अपने गले लगाया।
कुटीर, हस्त उद्योग अपनाओ,
स्वदेशीकरण का मंत्र बताया।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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