हम बेसिक के बच्चे
हम बेसिक के बच्चे,
हम मन के बिल्कुल सच्चे,
पूरा करके ही माने ठानें जो मन में,
हम नहीं सोच से कच्चे।
हम पढ़ने -लिखने जाते,
गुरुजी से ज्ञान चाहते,
कुछ सपने हमने भी देखे,
पूरा करने में लग जाते।
महामारी थी अडिग खड़ी,
पैरों में हमारे बेड़ी जकड़ी,
कोई साधन न कहीं दिखता,
ई -पाठशाला ने जोड़ी ज्ञान की लड़ी।
रीड अलोंग से पढ़ना सीखा,
तकनीकी का ज्ञान है चखा,
हम आधुनिक साधनों से जुड़े,
प्रेरणा साथी से रुका ज्ञान सीखा।
मोहल्ला क्लास शिक्षा पटरी पर लाई,
मस्तिष्क पर जमी निकली है काई,
चिंता के मेघ से अब मुक्त हैं,
बच्चों के मुख पर मुस्कान आई।
वृक्षारोपण कर, दिया हरियाली का संदेश,
प्रेरणा एप से आंकलन का मिला आदेश,
साक्षर समाज निर्माण में उठा कदम,
धैर्य से काम लेना है न कि हो आवेश।
Comments
Post a Comment