गुरु

कुम्भकार की भाँति जो मिट्टी से घड़े बनाये

गुरु वही जो चहुँओर शिक्षा के दीप जलाये


मात-पिता के बाद गुरु पर ही होता विश्वास

गुरु पे ही निर्भर शिष्य का सर्वोपरि विकास

कामयाबी के उच्च शिखर पर जो शिष्य को पहुँचाए

गुरु वही जो............................


गुरु में ब्रह्मा, गुरु में विष्णु, गुरु में ही है महेश

शिष्य से गुरु कभी न करता छल, दम्भ और द्वेष

गुरु के आगे तो प्रभु भी नतमस्तक हो जाए

गुरु वही जो........................


अक्षर बोध के साथ-साथ नैतिकता भी हैं सिखाते

खुद जलकर दीपक की भाँति ज्ञान की जोत जलाते

समय-समय पर शिक्षा में जो नवाचार अपनाये

गुरु वही जो..........................


गुरु ही तो करता है स्वर्णिम सपनों को साकार

बिन श्रद्धा के व्यर्थ गुरु का आदर और सत्कार

भटके हुए को भी जो समय पर उचित राह दिखलाये

गुरु वही जो.........................


रचयिता

पारुल चौधरी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरचंदपुर,
विकास क्षेत्र-खेकड़ा,
जनपद-बागपत।


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