हरेला त्योहार

हरेला का त्योहार आया है 

मन में उल्लास छाया है।

चारों तरफ है छाई हरियाली 

सब लोगों के मन को भाई

मोर - पपीहा हुए आनंदित,

बादलों की छटा है अदभुत।

धरती माँ का श्रृंगार करने

आये हैं ये बदरा कुटुम्ब सहित

खेत खलिहान सब भीग गए हैं।

वन उपवन में फूल खिले हैं 

चारों तरफ है हरियाली,

प्रकृति ने ली है अंगड़ाई

आई -आई मनभावनी ऋतु आई

धरा-वन सब सजे हुए हैं।

फल-फूलों से वृक्ष लदे हुए हैं 

पर्वतों से निकल -निकल कर झरने,

प्रकृति का सौंदर्य बढ़ा रहे हैं।

नदी नाले सब भरे हुए हैं 

मानव मन को डरा रहे हैं 

प्रकृति का करो संरक्षण

मचा शोर वो बता रहे हैं।

आओ बच्चों हम सब भी 

वृक्षारोपण करने जाएँ,

फल वाले-चौड़ी पत्ती वाले

लगा पौध धरती माँ को सजाएँ।

निभा कर अपना कर्तव्य  हम सब

भू संरक्षण-जल संरक्षण कर पाएँ

मिला है प्रकृति से उपहार हमें,

प्राण वायु को और बढ़ाएँ

मानव हैं हम, मानव धर्म निभाएँ

वनों को कटने से हम सब बचाएँ।

करके वृक्षारोपण हम सब

पशु -पक्षियों  के ठिकाने बचाएँ

आओ ना अब मिलकर हम सब

आज प्रतिज्ञा करेंगे

रखते हैं निज ध्यान हम जैसे

प्रकृति का भी रखेंगे।


रचयिता
दीपा कर्नाटक,
प्रभारी प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय छतौला,
विकास खण्ड-रामगढ़,
जनपद-नैनीताल,
उत्तराखण्ड।

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