आजाद हूँ मैं

हाँ, वो आज़ाद थे, 

आज़ाद हैं,

आज़ाद ही रहेंगे।


चन्द्रशेखर नाम से विभूषित

आजादी हित हर पल थे समर्पित

माँ भारती के सच्चे उपासक

हर साँस में बसी थी देश की महक


14 बरस की बाली उम्र में

देशभक्ति का संकल्प दिखाया

असहयोग आंदोलन में हुए गिरफ्तार

जज को भी था उसने चौंकाया


नाम है आज़ाद बताया उसने

स्वतंत्रता पिता है बताया उसने

जेल है मेरा घर बताया उसने

15 कोड़े जब पड़े पीठ पर

हर बार वंदे मातरम कहा था उसने


ना दौलत की भूख 

ना प्रसिद्धि की चाहत

ना परिवार का सपना

ना दीर्घायु से मोहब्बत


आज़ाद थे वो मोह माया से

आज़ाद थे वो झूठी तृष्णा से

आज़ाद थे वो धन लोलुपता से

आज़ाद थे वो आराम की चाह से


शत्रु को हरदम छकाया उसने

नित नया रूप बनाया उसने

दुश्मन को मजा चखाया उसने

क्रांति का बिगुल बजाया उसने


आजाद हूँ मैं, आजाद ही मरूँगा

कभी किसी के हाथ ना पड़ूँगा

जब तक जिऊँगा देश हित लड़ूँगा

देश पर ये प्राण न्योछावर करूँगा


अपना संकल्प निभाया उसने

गोरों को यमलोक पहुँचाया उसने

जब घिरा वो दुश्मन के बीच

खुद को ही गोली से उड़ाया उसने


संघर्ष का नया इतिहास रचाया

सीने में युवाओं के इंकलाब जगाया

आज़ाद ने रहकर आज़ाद

आजादी पाने का जज़्बा जगाया


ऐ वीर आज़ाद तुम्हें वंदन

करता है तुम्हें यह देश नमन

खाते हैं मिलकर शपथ ये हम

आज़ाद ही रहेगा सदा ये वतन


रचयिता

रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक, 
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर-एक,
विकास क्षेत्र-साढोली कदीम,
जनपद-सहारनपुर।


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