मित्रता
खुदा ना बन सके तो कोई बात नहीं,
फरिश्ता ना बन सके तो कोई बात नहीं,
दोस्त बन के तो देख,
दोस्ती में खुदा नजर ना आए तो कोई बात नहीं।
दोस्ती रिश्ता नहीं दिखावे का,
यह रिश्ता है उम्र भर निभाने का,
मन ही मन मुस्कुरा कर दोस्ती को याद करना,
गर दूर रहकर मिल ना सके तो कोई बात नहीं।
हवा भी गुमसुम सी गुजर गई,
बतियाये हुए सदियाँ गुजर गईं,
अतीत की यादों में दफन,
वह दोस्त सपनों में ना आए तो कोई बात नहीं।
खुदा का यह नायाब तोहफा,
दोस्ती में दोस्त का ओहदा,
कभी बेमानी ना समझना इसे,
फिर भी समझ ना आए तो कोई बात नहीं।
रचयिता
भारती मांगलिक,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय औरंगाबाद,
विकास खण्ड-लखावटी,
जनपद-बुलंदशहर।
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