मंगल पांडे
गाथा सुनो उस वीर की,
बना आजादी का अग्रदूत।
जन्मा 19 जुलाई 1827 को,
मंगल पांडे था वह सपूत।।
नरसिंह का वो सिंहनाद,
वीरों का वीर महान।
कारतूसों में चर्बी सुन,
भिड़ गया जो सीना तान।।
शंखनाद किया विद्रोह का,
बलिया के उस लाल ने।
किया संग्राम जब तक,
साथ न छोड़ा साँस ने।।
मारो फिरंगी दिया नारा,
वतन परस्ती को जगा दिया।
अंग्रेजी हुकूमत को दिल्ली से,
लंदन तक था हिला दिया।।
अंग्रेजी अफसर ह्यूसन को,
मौत के घाट उतार दिया।
गिरफ्तार करने से मंगल को,
सबने था इंकार किया।।
दिखाया ऐसा दम-खम,
नाम अमर कर गए।
8 अप्रैल 1857 को,
मंगल फाँसी चढ़ गए।।
इतिहास के पन्नों में,
मंगल है सुनहरा नाम।
जिनकी आन-बान-शान को,
कर रही कलम प्रणाम।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Comments
Post a Comment