आओ बाघ बचाएँ
राष्ट्रीय पशु बाघ हमारा,
हरे-भरे जंगल की शान।
शक्ति और गति का परिचायक,
पैंथरा टाइग्रिस वैज्ञानिक नाम।।
धैर्य धरे दुश्मन को ताके,
करता है फिर वो प्रहार।
लाल-पीले शरीर में है,
काली धारियों का श्रंगार।।
सुन गर्जना थर-थर काँपे,
जिससे यह मानव जाति।
अस्तित्व में संकट उनका अब,
दिन-प्रतिदिन घटती आबादी।।
चेता विश्व समुदाय तब,
किया गया बाघ सम्मेलन।
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में,
संकट पर हुआ मंथन।।
बाघों की संख्या करेंगे दुगनी,
सबने था यह लक्ष्य बनाया।
तब से प्रतिवर्ष 28 जुलाई को,
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया।।
आओ बाघ बचाएँ हम,
मिलकर सब यह काम करें।
जल, जीव, जंगल बचाएंँ,
हर जीवन का सम्मान करें।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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