गुरु की महिमा
हैं गुरु पथ प्रदर्शक ज्ञानी और गुणवान।
करने बैठी आज मैं गुरु महिमा का बखान।।
गुरु के वचन प्रत्येक पल हैं काम आते।
सही गलत में भेद है क्या, गुरु ही बताते।।
मात-पिता के बाद गुरु ही थामते हैं कमान।
गुरु का स्थान है जगत में ईश्वर के समान।।
गुरु की महिमा देखो वेद पुराण उठाकर।
गुरु आज्ञा से तोड़ा धनुष राम ने हाथ में लेकर।।
नीच जाति का एकलव्य गुरु पूजे बनाके मूरत।
काट दिया अँगूठा दक्षिणा में न देखी अपनी सूरत।।
भारतीय संस्कृति में गुरु को ब्रह्म तुल्य हैं मानते।
ज्ञान की लौ जलाते हैं गुरु प्रेरक बन दिखलाते।।
प्रत्येक साधक के लिए गुरु करना है जरूरी।
जीवन तो कट जाता पर मुक्ति मिलती अधूरी।।
आत्मा को परमात्मा से मिलाने का काम गुरु करे।
सत्कर्म और सद्भाव रखने से मानव कभी नही डरे।।
जीवन पथ पर चलना सिखाए हमें गुरु का ज्ञान।
गुरु पूर्णिमा पर तुम कर लो थोड़ा गुरु का ध्यान।।
गुरु की सलाह के बिना राजा करे न शुभ काम ।
आध्यात्मिकता और धर्म के करें सभी अनुष्ठान।।
गुरु अमृत रूपी ज्ञान के समुद्र का है नाम।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लेखनी करे प्रणाम।।🙏🙏
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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