आओ मिलकर याद करें

आओ सब मिल याद करें,

 युवा एक वीर इंसान को।

 हमें आजादी दिलाने हेतु,

 त्याग दिए अरमानों को।।


 उस क्रांतिकारी की महान, 

 गाथा  सुनो  सभी  जन। 

 विकट परिस्थितियों से गुजरे,

 बटुकेश्वर दत्त था नामकरण।।


 साथी थे भगत सिंह के,

 बम फोड़ा विधानसभा में।

 थे अव्वल खेलकूद में,

 जन्मे बंगाली परिवार में।।


 दुखियों की सेवा को अपना,

 धर्म समझते थे देश प्रेमी।

 वीरतायुक्त साहस से पूर्ण,

 मजदूर वर्ग के अति प्रेमी।।


 अपने कार्य  की संतुष्टि पर,

 किया था स्वयं को गिरफ्तार।

 तेज भरा  मुस्कुराता  चेहरा,

 मिली कठोरता व दुर्व्यवहार।।


 गए अदालत बटुकेश्वर जी,

 लगाया नारा इंकलाब जिंदाबाद का।

 बुलंद स्वर में गूँजा वाक्य,

 हो नाश साम्राज्यवाद का।।


 मुश्किलों और पीड़ा को झेला,

 पन्दह साल किए न्योछावर। 

 देश की आजादी के लिए,

 पर सम्मान न पाए बटुकेश्वर।।


 बीस जुलाई है पुण्यतिथि,

 कहा था अंतिम इच्छा मेरी।

 निकट भगत सिंह की समाधि के,

 हो मेरा  संस्कार  आखिरी।।


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।



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