मंगल पाण्डे
आओ मनाएँ जन्मदिवस,
भारत के वीर जवान की।
भारत माँ रक्षा को जिसने,
बाजी लगा दी जान की।
बाँध कफ़न केसरिया सिर पे,
जो चला सिंह सा मतवाला।
भारत माँ की आजादी को,
कुर्बान सब कुछ कर डाला।
अट्ठारह सौ सत्तावन में,
चिंगारी ऐसी भड़काई थी।
लंदन से लेकर दिल्ली तक,
गोरों को नानी याद दिलाई थी।
चर्बी से बने कारतूसों का,
विरोध किया था मंगल ने।
अपने हिन्दू धर्म का सदा,
मान रखा था मंगल ने।
मारो फिरंगी को का नारा दे,
सबका अभिमान जगाया था।
आँखों से आँख मिला कर के,
अंग्रेजों को खूब डराया था।
जन-जन में देशभक्ति की,
मंगल ने अलख जलाई थी।
सुन सिंह गर्जना मंगल को,
फाँसी की सजा सुनाई थी।
सुन फाँसी की सजा वीर,
जरा नहीं घबराया था।
भारत माँ चरणों में फिर,
अपना शीश चढ़ाया था।
मंगल देश का करने को,
एक बागी मंगल आया था।
गोरों का अमंगल कर डाला,
वो भारत माँ का जाया था।
नमन तुझे है मंगल प्यारे,
तुम भारत की शान हो।
अभिमान हो तुम हम सबके,
तुम मंगल वीर महान हो।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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