शांति दूत

कुछ भी नहीं नामुमकिन,

जग में मेरे यारों।

आ जाओ अपनी जिद पे,

वो हो जाए काम यारों।


दिखा गए हैं करके ये,

मंडेला महान यारों।

रच गए इतिहास नया,

जग में महान प्यारों।


तेरी वीरता व साहस का,

जग कद्रदान है।

मानवता के पुजारी तू,

बड़ा महान है।


अफ्रीका में अश्वेतों की,

थी दुर्दशा बड़ी।

वहाँ रंगभेद की विकट,

विपदा थी खड़ी।


रंगभेद अत्याचार जो,

सहा था गांधी ने।

झेला था दंश गहरा,

मंडेला जी आपने।


जंजीरें रंगभेद की,

तोड़ना ही लक्ष्य था।

नफ़रतें दिलों की,

मिटाने का लक्ष्य था।


था रास्ता कठिन मगर,

दिल में जुनून था।

तेरी रगों में केवल,

इंसानियत का खून था।


27 बरस बन कैदी,

जीवन था बिताया।

फिर भी कदम ना तूने,

पीछे हटाया।


मानसिक उत्पीड़न से,

मुक्ति थी दिलाई।

हक के लिए आजादी की,

मशाल थी जलाई।


सामने थी मौत खड़ी,

फिर भी ना घबराए।

चेहरे पे अपने तुम,

सिकन जरा भी ना लाए।


ठानी थी तूने जिद जो,

वो पूरी कर दिखाई।

रंगभेद की जड़ें फिर,

जग से थीं मिटाई।


अफ्रीका के गांधी तुम्हें,

शत-शत बार है नमन।

करता है जग सारा तुम्हें,

श्रद्धा सुमन अर्पण।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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