अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस

"दोस्ती" बड़ा प्यारा सा लफ्ज़ है

लफ्ज़ क्या एक मुकम्मल एहसास है

जब आँखों में निराशा की घटाएँ छा जाती हैं,

तो सूर्य की चमक लाने वाली "दोस्ती" ही है|

स्कूल के मैदान में मिली हार हो,

या जीवन में मिली हार,

'सब कुछ अच्छा होगा'

ये बताने वाली "दोस्ती" ही है

बाइक में पेट्रोल ना हो,

और जेब भी खाली हो,

बटुए में चुपके से रूपये रखने वाली 

"दोस्ती" ही है|

रिजल्ट की ख़ुशी हो,

या क्रिकेट मैच में जीत,

गर्ल फ्रेंड के साथ 'फर्स्ट डेट' हो

तो साथ में जश्न मनाने वाली "दोस्ती" ही है|

दोस्त की बारात में नागिन डांस हो,

या देर रात तक बीमार दोस्त का साथ,

हर हाल में साथ देने वाली "दोस्ती" ही है|

बचपन में स्कूल बैग से लेकर,

कॉलेज में क्लास बंक करने तक,

जीवन साथी चुनने से लेकर,

जॉब इंटरव्यू में साथ देने तक,

जवानी की 'नादानियों' से लेकर

बुढ़ापे में जिम्मेदारी निभाने तक,

जो मरने से ठीक पहले भी कह दे

"यार इतनी जल्दी भी क्या है"

वो "दोस्ती" ही है|

वो "दोस्ती" ही है|


रचयिता

भारती खत्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,

विकास खण्ड-सिकंदराबाद,

जनपद-बुलंदशहर।



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