चन्द्रशेखर आजाद
अंगद लक्ष्मण सा तेज लिए,
माँ जगरानी से जन्मा जो।
स्वतंत्रता का वह चितेरा,
चन्द्रशेखर आजाद था वो।।
धन्य तिथि 23 जुलाई,
जन्म से आपके हो गई।
निडरता समर्पण की कहानी,
हर युवा के मन में रह गई।।
पूत के पाँव पालने में,
कहते हैं दिख जाए।
चौदह बरस की उम्र में ही,
पन्द्रह कोड़े थे खाए।।
रची खून से मेहंदी तन पे,
जब कोड़े थे बरसे।
आजाद मैं पिता स्वतंत्रता,
चन्द्रशेखर कहे थे गर्व से।।
निष्ठा और समर्पण से बने,
एचएसआरए के सक्रिय सदस्य।
मातृभूमि पर ही किया,
न्योछावर अपना सर्वस्व।।
रूह काँपती अंग्रेजों की,
सुनकर आजाद का नाम।
मस्तक नहीं झुकाया जिसने,
खड़ा रहा जो सीना तान।।
बची एक ही गोली जब,
भाग्य भी जैसे रूठ गया।
भारत माँ का लाडला,
माँ को समर्पित हो गया।।
आजाद तुम आजाद थे,
आजाद ही रहोगे।
बन बलिदान की धारा,
युवारक्त में बहोगे।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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