राष्ट्रीय बाघ दिवस

2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में हुई घोषणा,

29 जुलाई को बाघ दिवस है मनाना।

उद्देश्य था बाघों को संरक्षण देना,

विलुप्त होती जाति को हमें हैं बचाना।।


भारत का राष्ट्रीय पशु विलुप्त हो रहा,

70% बाघ भारत में ही रह रहा।

जागरूकता फैलाना इस दिवस का उद्देश्य,

2022 तक संख्या दोगुना का लक्ष्य बन रहा।।


पारिस्थितिकी तंत्र में है बाघों का महत्व,

जन-जन को अवगत कराना है यह तथ्य।

परिणाम स्वरूप बढ़ने लगी है संख्या अब,

2018 में संख्या हो गई 2967, बढ़ा महत्व।।


4 वर्ष में एक बार होती इसकी गणना,

इससे उनके ग्रोथ रेट का पता है कितना।

इस समय 51 हो गई टाइगर रिजर्व की संख्या,

8 प्रजातियों की इनमें होती है गणना।।


शान, शौर्य और चुस्ती का प्रतीक है बाघ,

दो पैरों से भी लड़कर जीत सकता है बाघ।

बंगाल टाइगर, साइबेरियन, चाइनीज, सुमात्रा हैं शेष,

संरक्षण की राह देखते राष्ट्रीय पशु बाघ।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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