जय जनतंत्र विधाता

जन गण  भारत,
अभिनव नव भारत,
जय जनतंत्र विधाता।
सुख समृद्धि प्रदाता।।

भेदभाव दुर्भाव मिटाने,
समता के पथ अपनाने।
जागृत जनमन चेतन,
नवल रश्मि रवि लाता।
जय जन तंत्र विधाता।।

सबल शक्ति नव भरकर,
निबल सबल हों पथ पर,
समता भाव समुज्ज्वल,
हृदयंगम करो बताता।
जय जनतंत्र विधाता।।

विकसित ज्ञान मनोमय,
जनमन भर यह निश्चय।
अंत तमिस कर भर प्रकाश,
जन मन हो मुस्काता।
जय जनतंत्र विधाता।।

संकल्प अचल कर अब,
स्वगत निरत पथ हों सब।
सकल विश्व भारत का,
  हो नित यश गाता।
 जय जनतंत्र विधाता।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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