चलूँ सत्य पथ पर
मन का एक कोना,
आशाओं को समेटे,
प्रेम से ओतप्रोत,
हृदय के स्वछन्द उद्गार,
वाणी से निकले,
उम्मीदों का दीपक जलाये,
बढ़े जाते उस ओर,
आरंभ होता जहाँ,
मेरी अपेक्षाओं का,
कि पूर्ण कर सकूँ,
हर वो अभिलाषा,
जो नष्ट कर सके,
हर लोभी की पिपासा।
करबद्ध हूँ बस उसके समक्ष,
क्योंकि वही हैं सर्वज्ञ,
ज्ञाता है वही,
देता है वही,
पूर्ण करता है मनोरथ,
सभी गलत-सही।।
बस यही है उससे निवेदन,
स्वीकारे मेरे सभी आवेदन,
अडिग चलूँ सत्य पथ पर,
रहूँ चाहें नेपथ्य पर,
है विनती ऐ! अगोचर,
लुटा दूँ अपना सर्वस्व,
अपनी इस भारत माँ पर।।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
English Medium
Primary School Maseni,
Block-Barhpur,
District-FARRUKHABAD.
आशाओं को समेटे,
प्रेम से ओतप्रोत,
हृदय के स्वछन्द उद्गार,
वाणी से निकले,
उम्मीदों का दीपक जलाये,
बढ़े जाते उस ओर,
आरंभ होता जहाँ,
मेरी अपेक्षाओं का,
कि पूर्ण कर सकूँ,
हर वो अभिलाषा,
जो नष्ट कर सके,
हर लोभी की पिपासा।
करबद्ध हूँ बस उसके समक्ष,
क्योंकि वही हैं सर्वज्ञ,
ज्ञाता है वही,
देता है वही,
पूर्ण करता है मनोरथ,
सभी गलत-सही।।
बस यही है उससे निवेदन,
स्वीकारे मेरे सभी आवेदन,
अडिग चलूँ सत्य पथ पर,
रहूँ चाहें नेपथ्य पर,
है विनती ऐ! अगोचर,
लुटा दूँ अपना सर्वस्व,
अपनी इस भारत माँ पर।।
रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
English Medium
Primary School Maseni,
Block-Barhpur,
District-FARRUKHABAD.
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