पर्यायवाची शब्द
गणेश-मंगलमूर्ति, गौरीनन्दन,
विघ्नहरण, गणराज, कहावे।
गाय
सुरभी, गैया, कामधेनु, गौ, नन्दिनी, गाय दुग्ध पिलावे।।
कमल
पंकज, अम्बुज,
सरसिज, नीरज, वारिज, जलज कमल खिल जावै।
पानी
वारि, नीर, अम्बु, जल, तोय, पानी सबकी प्यास बुझावै।।
समुद्र
अम्बुधि, सागर,
जलनिधि, जलधि, रत्नाकर समुद्र कहावै।।
राक्षस
दानव, दैत्य, निशाचर,
राक्षस, रजनीचर धरि रूप डरावै।।
बादल
नीरद, मेघ, जलद,
बलाहक, अम्बुद
बादल जल बरसावै।
सूर्य
सूर्य, भानु, रवि, दिनकर,
सूरज, जग में उजियारा फैलावे।
चन्द्रमा
सोम, सुधाकर, इंदु,
चन्द्रमा, तारापति ही चन्द्र कहावै।।
नौकर
सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, परिचारक सेवा धर्म निभावै।
लक्ष्मी
विष्णुप्रिया, कमला, श्री, धनदा, समुद्रसुता लक्ष्मी कहलावै।
यमुना
सूर्यसुता, अर्कजा, कलिन्द्री रवितनया, यमुना कहलावै।
घोड़ा
बाजि, अश्व, हय,
घोटक, घोड़ा, रविसुत, तुरंग चाल दिखलावे।।
गंगा
विष्णुपगा, भागीरथी, गंगा, देवनदी सब पाप मिटावै।।
भौंरा
भृंग, मधुप, अलि, मधुकर, भौंरा, भृमर,
मलिन्द, पुष्प मड़रावै।
पक्षी
नभचर, विहंग, पखेरू, पक्षी, गगन चारी चिड़िया उड़ जावै।
धनुष
धनुही, धनु, सारंग, शरासन, चाप, धनुष को खैंचि चढावै।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
विघ्नहरण, गणराज, कहावे।
गाय
सुरभी, गैया, कामधेनु, गौ, नन्दिनी, गाय दुग्ध पिलावे।।
कमल
पंकज, अम्बुज,
सरसिज, नीरज, वारिज, जलज कमल खिल जावै।
पानी
वारि, नीर, अम्बु, जल, तोय, पानी सबकी प्यास बुझावै।।
समुद्र
अम्बुधि, सागर,
जलनिधि, जलधि, रत्नाकर समुद्र कहावै।।
राक्षस
दानव, दैत्य, निशाचर,
राक्षस, रजनीचर धरि रूप डरावै।।
बादल
नीरद, मेघ, जलद,
बलाहक, अम्बुद
बादल जल बरसावै।
सूर्य
सूर्य, भानु, रवि, दिनकर,
सूरज, जग में उजियारा फैलावे।
चन्द्रमा
सोम, सुधाकर, इंदु,
चन्द्रमा, तारापति ही चन्द्र कहावै।।
नौकर
सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, परिचारक सेवा धर्म निभावै।
लक्ष्मी
विष्णुप्रिया, कमला, श्री, धनदा, समुद्रसुता लक्ष्मी कहलावै।
यमुना
सूर्यसुता, अर्कजा, कलिन्द्री रवितनया, यमुना कहलावै।
घोड़ा
बाजि, अश्व, हय,
घोटक, घोड़ा, रविसुत, तुरंग चाल दिखलावे।।
गंगा
विष्णुपगा, भागीरथी, गंगा, देवनदी सब पाप मिटावै।।
भौंरा
भृंग, मधुप, अलि, मधुकर, भौंरा, भृमर,
मलिन्द, पुष्प मड़रावै।
पक्षी
नभचर, विहंग, पखेरू, पक्षी, गगन चारी चिड़िया उड़ जावै।
धनुष
धनुही, धनु, सारंग, शरासन, चाप, धनुष को खैंचि चढावै।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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