गुरु गोविंद सिंह
5 जनवरी 1666 सिखों के दसवें गुरु जान।
गुरु तेग बहादुर के सुपुत्र गोविंद सिंह हुए महान।।
कवि, भक्त, आध्यात्मिक नेता, योद्धा थे वे महान।
वैशाखी को खालसा पंथ की स्थापना है ऐतिहासिक जान।।
पंज प्यारे, खालसा, हुजूर साहिब इनकी रचना पर हमें गुमान।
इन सबने बढ़ा दिया सिखों का सम्मान।।
हिंदू धर्म की रक्षा के खातिर,
पिता से शहीद होने का आग्रह किया।
पुत्र मोह को त्याग करके शहीदी जाम पिला दिया।।
दशम ग्रंथ में उनकी भाषा और सोच को कोई समझ ना पाया ।
माँ की ममता, बच्चों का मोह,
छोड़ा पिता का साया।।
परोपकारी गुरु गोविंद जी थे,
गुणो को नहीं बखान सकूँ।
अनुरंजना का शत-शत वंदन है उनको मैं प्रणाम करूँ
उनको मैं प्रणाम करूँ।।
रचयिता
अनुरंजना सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोठिलिहाई,
जनपद-चित्रकूट।
गुरु तेग बहादुर के सुपुत्र गोविंद सिंह हुए महान।।
कवि, भक्त, आध्यात्मिक नेता, योद्धा थे वे महान।
वैशाखी को खालसा पंथ की स्थापना है ऐतिहासिक जान।।
पंज प्यारे, खालसा, हुजूर साहिब इनकी रचना पर हमें गुमान।
इन सबने बढ़ा दिया सिखों का सम्मान।।
हिंदू धर्म की रक्षा के खातिर,
पिता से शहीद होने का आग्रह किया।
पुत्र मोह को त्याग करके शहीदी जाम पिला दिया।।
दशम ग्रंथ में उनकी भाषा और सोच को कोई समझ ना पाया ।
माँ की ममता, बच्चों का मोह,
छोड़ा पिता का साया।।
परोपकारी गुरु गोविंद जी थे,
गुणो को नहीं बखान सकूँ।
अनुरंजना का शत-शत वंदन है उनको मैं प्रणाम करूँ
उनको मैं प्रणाम करूँ।।
रचयिता
अनुरंजना सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोठिलिहाई,
जनपद-चित्रकूट।
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