यह हिंद मेरी जान

तुम सुनो मेरे हिंद के लोगों,
हमें हिंद बचाना पड़ेगा।
बैठा दुश्मन जो घात लगाए
उसे हम को भगाना पड़ेगा।।

जम्मू कश्मीर देखो हमारा।
यहाँ का है अद्भुत नजारा।
कोई गर इस पे आँख लगाए,
उन्हें जड़ से मिटाना पड़ेगा।

तुम सुनो मेरे हिंद के लोगों,
हमें हिंद बचाना पड़ेगा।।

हिंद की इस जमी से मोहब्बत को,
 सारी दुनिया अब देखेगी
 हम वतन के हैं सच्चे सिपाही,
अब तो सीमा पर जाना पड़ेगा

 तुम सुनो मेरे हिंद के लोगों
हमें हिंद बचाना पड़ेगा।।

ए देश है मेरा देखो रंगीला।
 तिरंगे से है कितना सजीला।
शांति सादगी समृद्धि बताता,
इसे हम को बचाना पड़ेगा

तुम सुनो मेरे हिंद के लोगों
 हमें हिंद बचाना पड़ेगा।।

गंगा यमुना का पावन तट है।
ऊँचा हिमालय इसका बट है।
खाकर सौगंध भारत माँ की,
अपना जीवन लुटाना पड़ेगा।।

तुम सुनो मेरे हिंद के लोगों,
हमें हिंद बचाना पड़ेगा।।

रचयिता
अनुरंजना सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोठिलिहाई,
जनपद-चित्रकूट।

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