जल ही जीवन
जल जीवन का अभिन्न अंग
सब जीते जाएँ इसके संग
पानी हैं जहाँ से लाते
वो ही जल के स्रोत कहाते
दो रूपों में होता जल
भूमिगत और धरातल
जो जल भूमि के ऊपर रहता
वो तो धरातलीय कहलाता
नदी, तालाब, झील का पानी
बारिश में बढ़ने की ठानी
इस पानी को हम स्वच्छ बनाते
पानी की टंकी में भरते
कुएँ हैंडपम्प से जो पानी आता
भूमिगत जल वो कहलाता
भूमिगत में ट्यूबवेल भी आता
सिंचाई से किसान अन्न उगाता।
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
सब जीते जाएँ इसके संग
पानी हैं जहाँ से लाते
वो ही जल के स्रोत कहाते
दो रूपों में होता जल
भूमिगत और धरातल
जो जल भूमि के ऊपर रहता
वो तो धरातलीय कहलाता
नदी, तालाब, झील का पानी
बारिश में बढ़ने की ठानी
इस पानी को हम स्वच्छ बनाते
पानी की टंकी में भरते
कुएँ हैंडपम्प से जो पानी आता
भूमिगत जल वो कहलाता
भूमिगत में ट्यूबवेल भी आता
सिंचाई से किसान अन्न उगाता।
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
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