लुइस ब्रेल(लुई ब्रेल)
4 जनवरी 1809 कुप्रे, फ्रांस में जन्म लिया।
दृष्टिहीनों के मसीहा ब्रेल लिपि आविष्कार किया।
पिता- साइमन रेले इनके घोड़ों की काठी बनाते थे।
3 वर्ष के ब्रेल को यही काम सिखलाते थे।
लोहे के औजार और चाकू से मन को बहलाता था।
इन्ही खिलौनों से वह खेले, समझ नहीं कुछ पाता था।
एक दिवस नुकीला चाकू आँख में घुस गया ब्रेल के।
आँखों की रोशनी चली गयी खतरनाक इस खेल से।।
1829 में छः बिन्दुओं की लिपि बनाई।
जिससे अब तक होती है नेत्रहीनों की पढ़ाई।
विश्व ब्रेल सम्मेलन में 'विश्व ब्रेल' स्थान मिला।
फ्रांस ने ब्रेल के कार्यों को 54 में सम्मान दिया।
जन्म द्विशती के अवसर पर भारत ने सम्मान किया।
2009 में भारत ने डाक टिकट जारी किया।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
दृष्टिहीनों के मसीहा ब्रेल लिपि आविष्कार किया।
पिता- साइमन रेले इनके घोड़ों की काठी बनाते थे।
3 वर्ष के ब्रेल को यही काम सिखलाते थे।
लोहे के औजार और चाकू से मन को बहलाता था।
इन्ही खिलौनों से वह खेले, समझ नहीं कुछ पाता था।
एक दिवस नुकीला चाकू आँख में घुस गया ब्रेल के।
आँखों की रोशनी चली गयी खतरनाक इस खेल से।।
1829 में छः बिन्दुओं की लिपि बनाई।
जिससे अब तक होती है नेत्रहीनों की पढ़ाई।
विश्व ब्रेल सम्मेलन में 'विश्व ब्रेल' स्थान मिला।
फ्रांस ने ब्रेल के कार्यों को 54 में सम्मान दिया।
जन्म द्विशती के अवसर पर भारत ने सम्मान किया।
2009 में भारत ने डाक टिकट जारी किया।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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