मुट्ठी भर वक़्त अधिक ले आना

नये साल इस बार मुझे तुम
नया गिफ्ट ही लाना।
हो सके तो मेरे लिए मुट्ठी भर
वक़्त अधिक ले आना।।
स्कूल, कोचिंग, होमवर्क में
सारा समय निकल जाता है।
इस कारण मेरा बचपन जैसे
दूर कहीं खो जाता है।
हो सके तो मेरे लिए मुट्ठी भर
वक़्त अधिक ले आना।
नए साल इस बार मुझे तुम........।
मैं नन्हा बालक हूँ ये सब
समझ नहीं पाता  हूँ।
नम्बर वन की दौड़ में
रेस का घोडा बन जाता हूँ।।
सब उम्मीद लगाते क्लास में
नम्बर वन पर आना।
नए साल इस बार मुझे तुम.....।
मन करता मैं भी पडौस के
चुन्नू मुन्नू के संग खेलूँ।
भागूँ दौड़ूँ उन सब के संग
थोडा सा बचपन जी लूँ।
मेरे खोये से बचपन को
वापस फिर दे जाना।
नये साल इस बार मुझे तुम
नया गिफ्ट ही लाना।
         
रचयिता
जमीला खातून, 
प्रधानाध्यापक, 
बेसिक प्राथमिक पाठशाला गढधुरिया गंज,
नगर क्षेत्र मऊरानीपुर, 
जनपद-झाँसी।

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