नयनों को ध्येय पर टिकाना है

आज पुनः संकल्पों को श्वांसों में भर जाना है,
आज पुनः अपने नयनों को ध्येय पर टिकाना है,
नीर बनकर, सूखे अधरों की प्यास बुझाने जाना है,
बनकर के एक सजग नागरिक, कर्तव्य हमें निभाना है।

जब बच्चा कोई रोयेगा, अपने माँ के आँचल को,
जब बेटी बाहर निकलेगी, करने रोशन इस जग को ,
तब बच्चे को माँ की ममता देकर और,
बेटी की रक्षा करके अपना फ़र्ज़ निभाना है।

आज पुनः संकल्पों को श्वांसों में भर जाना है,
आज पुनः अपने नयनों को ध्येय पर टिकाना है।

जब देशद्रोही, धरती माँ का विश्वास डिगाने निकला हो,
जब कायर आतंकी सीमा में, सेंध लगाने निकला हो,
तब हर पल भृकुटि तनी रहें, निगाहें सीमा पर जमी रहें,
जननी का अथ छू न पाये कोई, उसे ऐसा अंत दिखाना है।

आज पुनः संकल्पों को श्वांसों में भर जाना है,
आज पुनः अपने नयनों को ध्येय पर टिकाना है।

नव ऊर्जा, नव स्नेह के नव अंकुर स्वयं में जागृत करके,
समर्पण, सहयोग ,सेवाभाव का जन-जन में संचार करके,
नव प्रभात के नव आदित्य की रश्मियों का आह्वान करके,
नव चित्त की नव स्फूर्ति से मंगलमय नव वर्ष मनाना है।

आज पुनः संकल्पों को श्वांसों में भर जाना है,
आज पुनः अपने नयनों को ध्येय पर टिकाना है।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
English Medium 
Primary School Maseni,
Block-Barhpur,
District-FARRUKHABAD.

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