पावनतम गणतंत्र दिवस है
आज सभी कुछ हाथ हमारे,
पूर्ण हुए सब काज हमारे।
अपनी संसद, संविधान है,
अपनी सत्ता स्वाभिमान है।
नहीं देश अब रहा विवश है,
पावनतम गणतंत्र दिवस है
अपनी यमुना, अपनी गंगा,
अपना हिमगिरि, जलधि तरंगा।
भारत के चप्पे - चप्पे पर,
लहराता है आज तिरंगा।
भारत माता की महिमा का,
आज विश्व में दीपित यश है।
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
ये दिन जिस पर हमें गर्व है,
लोकतंत्र का महापर्व है।
विश्व मंच पर सम्मानित है,
मेल -जोल का जिसमें रस है,
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
सोमनाथ का मंदिर अपना,
और ताज अपने हाथों में।
अब दिल्ली के लाल किले पर,
नहीं किसी का कोई वश है।
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
रचयिता
पूर्ण हुए सब काज हमारे।
अपनी संसद, संविधान है,
अपनी सत्ता स्वाभिमान है।
नहीं देश अब रहा विवश है,
पावनतम गणतंत्र दिवस है
अपनी यमुना, अपनी गंगा,
अपना हिमगिरि, जलधि तरंगा।
भारत के चप्पे - चप्पे पर,
लहराता है आज तिरंगा।
भारत माता की महिमा का,
आज विश्व में दीपित यश है।
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
ये दिन जिस पर हमें गर्व है,
लोकतंत्र का महापर्व है।
विश्व मंच पर सम्मानित है,
मेल -जोल का जिसमें रस है,
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
सोमनाथ का मंदिर अपना,
और ताज अपने हाथों में।
अब दिल्ली के लाल किले पर,
नहीं किसी का कोई वश है।
पावनतम गणतंत्र दिवस है।
रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
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