हिन्दी वर्णमाला
अ- अरविन्द से गुलज़ार
कीचड़ में रहते सदा तुम, फिर भी हो इतने निर्मल।
हे प्रभु देना ज्ञान हमें, रहें सदा हम भी निर्मल।।
आ- आदित्य को प्रणाम
दर्शन कर आदित्य के, दिन भी होता हर्षित।
करें हम भी रोशन जग को, हर मानव हो आनन्दित।।
इ- इन्सान बनना है।
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमज़ोर हो न।।
ई- ईमानदार बनना है।
ईश्वर अल्ला तेरो नाम,
सबको सम्मति दे भगवान।।
उ- उन्नति करना है।
इस देश के वासी हैं हम,
जिस देश में गंगा बहती है।
गंगा को निर्मल करना है,
यह प्रण हमको करना है।।
ऊ- ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही
धियो यो नः प्रचोदयात।।
ए- एकता के साथ एकलव्य बनना है।
ऐ- ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें, और नेकी करें
ताकि हंसते हुए निकले दम।।
ओ- ओस की बूँद बनना है।
ओस की बूँद करे मन को शीतल,
बनें बूँद ओस की, करें औरों को शीतल।।
औ- औरत का सम्मान करना है।
है धरा पर रब की पहचान,
उसको नमन करना है।।
अं- अंगूर का मीठा मीठा रस।
घोले मुँह में मिठास,
बोलें हम ऐसा, शब्दों में घुल जाये मिठास।।
अहः- अ में जुड़ जाए जब विसर्ग, हो जाए अहाः।
हँसते रहो, हँसाते रहो, अहा, अहा, अहा।।
➖➖➖➖➖➖➖➖
क- कुशाग्र, कर्तव्यनिष्ठ,कर्तव्यपरायण बनना है।
कुदरत का कहर रोकना है हमें,
पर्यावरण को सुरक्षित रखना है हमें।।
ख- खामोशियों में ख्याति छुपी हुई है।
खदानों में मिलता है हीरा, कौन कहता है ये।
हीरा तो सामने है, तराशना है इसे।।
ग- गगन छूना है।
गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल।।
घ- घड़ी देखना है।
घड़ी न होती ठहर जाता दिन।
घड़ी की टिक-टिक है दिल की धड़कन।।
ङ- ङ जब जुड़ जाए दि में, बन जाएँ दिनांक।
जब हम जुड़ जाएँ दि में, हम बन जाएँ दिनांक।।
च- चेतन बनना है।
चाँद सितारों से भी आगे हमें जाना है।
इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है।।
छ- छतरी ने बचाया धूप से, वर्षा से।
मरहम बन बचाये मानव को दुःखों से।।
ज- जहाँ को जन्नत बनाना है।
जीवन को सफल करना है।।
झ- झाँसी की रानी बनना है।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा,
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।।
ञ- नाद( ध्वनि) प्रवर्तक।
ट- टन-टन-टन घंटी 8 बोलीं।
झन-झन-झन ओलम बोली।।
ठ- ठुमक चलत रामचन्द्र
बाजत पैजनिया, पाँव देखत चारुचंद्र।।
ड- डरो मत, डिगाओ मत, सबका हो यही मत।
डगर-डगर, नगर-नगर फैलाओ एकता के स्वर।।
ढ़- ढ़म- ढ़म-ढ़म-ढ़म ढ़पली बाजै।
गम के दूर साये भागे।।
ण- णमोकार की रश्मियाँ,
जल उठी योग की ज्योतियाँ।।
त- तहज़ीब सीखना है।
तरन्नुम में ज़िन्दगी आ जाए।
तबस्सुम में तहज़ीब समा जाए।।
थ- थोड़ा मुस्कुराना है।
द- दयावान बनना है।
देदी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल।।
ध- धन्वन्तरि आरोग्य के सन्तरि।
न- नवचेतना बनना है।
निज भाषा उन्नति अहै, निह उन्नति मान।।।
प- प्रेम का हो संचार मानव मानव में,
जैसे हो रक्त संचार,तन मन में।।
फ- फल की इच्छा मत करना।
ब- बनो बेमिसाल तुम, बनकर भारत की शान।
भ- भारतीय हैं हम,हैं भारत की शान।
करें कर्म ऐसा सदा, रखें इसका मान।।
म- मातृभूमि की रक्षा करना है।
मातृभूमि की रक्षा करना है, है धर्म हमारा।
बन सेवक मातृभूमि का, जीवन हो जाये चरितार्थ हमारा।।
य- यकीन करो, यकीन करो।
यकीन करो जहाँपनाह पर,
साक्षी हैं पल पल के।।
र- राम बनना है।
रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम,
ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।।
ल- लेकर आये हैं तूफ़ां से कश्ती।
बच्चों मेरे सम्भालकर रखना कश्ती।।
व- वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफ़ल बना जावें।।
श- शालीन बनना है।
श में आशा, श में निराशा।
है जीवन आशा, है अन्त निराशा।।
ष- षटकोण(छः कोण) सम्बोधित करता है जीवनचक्र।
न्यून से प्रारम्भ, सम्पूर्ण से अनन्त।
ह- हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन।
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन।।
क्ष- क्षमाशील बनना है।
क्षत्रियों की शान है शस्त्र,
शिक्षा है हमारा अस्त्र।।
त्र- त्रिदेव को नमन।
ज्ञ- ज्ञानी बनना है।
ज्ञान ही जीवन का आधार है।
ज्ञान ही जीवन का प्रारम्भ है।।
ऋ ऋषियों की भूमि है।
भारत पावन देश है।।
श्र- श्रेष्ठ बनना है।
श्रद्धा ही आस्था की जननी है।
आस्था ही ईश्वर की प्राप्ति है।।
ढ़+ङ- पढ़ना है, लड़ना नही,
शहद बनें करेला नही।
जीवन को खुशहाल बनाना है,
यही प्रयास हमारा है।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
कीचड़ में रहते सदा तुम, फिर भी हो इतने निर्मल।
हे प्रभु देना ज्ञान हमें, रहें सदा हम भी निर्मल।।
आ- आदित्य को प्रणाम
दर्शन कर आदित्य के, दिन भी होता हर्षित।
करें हम भी रोशन जग को, हर मानव हो आनन्दित।।
इ- इन्सान बनना है।
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमज़ोर हो न।।
ई- ईमानदार बनना है।
ईश्वर अल्ला तेरो नाम,
सबको सम्मति दे भगवान।।
उ- उन्नति करना है।
इस देश के वासी हैं हम,
जिस देश में गंगा बहती है।
गंगा को निर्मल करना है,
यह प्रण हमको करना है।।
ऊ- ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही
धियो यो नः प्रचोदयात।।
ए- एकता के साथ एकलव्य बनना है।
ऐ- ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें, और नेकी करें
ताकि हंसते हुए निकले दम।।
ओ- ओस की बूँद बनना है।
ओस की बूँद करे मन को शीतल,
बनें बूँद ओस की, करें औरों को शीतल।।
औ- औरत का सम्मान करना है।
है धरा पर रब की पहचान,
उसको नमन करना है।।
अं- अंगूर का मीठा मीठा रस।
घोले मुँह में मिठास,
बोलें हम ऐसा, शब्दों में घुल जाये मिठास।।
अहः- अ में जुड़ जाए जब विसर्ग, हो जाए अहाः।
हँसते रहो, हँसाते रहो, अहा, अहा, अहा।।
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क- कुशाग्र, कर्तव्यनिष्ठ,कर्तव्यपरायण बनना है।
कुदरत का कहर रोकना है हमें,
पर्यावरण को सुरक्षित रखना है हमें।।
ख- खामोशियों में ख्याति छुपी हुई है।
खदानों में मिलता है हीरा, कौन कहता है ये।
हीरा तो सामने है, तराशना है इसे।।
ग- गगन छूना है।
गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल।।
घ- घड़ी देखना है।
घड़ी न होती ठहर जाता दिन।
घड़ी की टिक-टिक है दिल की धड़कन।।
ङ- ङ जब जुड़ जाए दि में, बन जाएँ दिनांक।
जब हम जुड़ जाएँ दि में, हम बन जाएँ दिनांक।।
च- चेतन बनना है।
चाँद सितारों से भी आगे हमें जाना है।
इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है।।
छ- छतरी ने बचाया धूप से, वर्षा से।
मरहम बन बचाये मानव को दुःखों से।।
ज- जहाँ को जन्नत बनाना है।
जीवन को सफल करना है।।
झ- झाँसी की रानी बनना है।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा,
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।।
ञ- नाद( ध्वनि) प्रवर्तक।
ट- टन-टन-टन घंटी 8 बोलीं।
झन-झन-झन ओलम बोली।।
ठ- ठुमक चलत रामचन्द्र
बाजत पैजनिया, पाँव देखत चारुचंद्र।।
ड- डरो मत, डिगाओ मत, सबका हो यही मत।
डगर-डगर, नगर-नगर फैलाओ एकता के स्वर।।
ढ़- ढ़म- ढ़म-ढ़म-ढ़म ढ़पली बाजै।
गम के दूर साये भागे।।
ण- णमोकार की रश्मियाँ,
जल उठी योग की ज्योतियाँ।।
त- तहज़ीब सीखना है।
तरन्नुम में ज़िन्दगी आ जाए।
तबस्सुम में तहज़ीब समा जाए।।
थ- थोड़ा मुस्कुराना है।
द- दयावान बनना है।
देदी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल।।
ध- धन्वन्तरि आरोग्य के सन्तरि।
न- नवचेतना बनना है।
निज भाषा उन्नति अहै, निह उन्नति मान।।।
प- प्रेम का हो संचार मानव मानव में,
जैसे हो रक्त संचार,तन मन में।।
फ- फल की इच्छा मत करना।
ब- बनो बेमिसाल तुम, बनकर भारत की शान।
भ- भारतीय हैं हम,हैं भारत की शान।
करें कर्म ऐसा सदा, रखें इसका मान।।
म- मातृभूमि की रक्षा करना है।
मातृभूमि की रक्षा करना है, है धर्म हमारा।
बन सेवक मातृभूमि का, जीवन हो जाये चरितार्थ हमारा।।
य- यकीन करो, यकीन करो।
यकीन करो जहाँपनाह पर,
साक्षी हैं पल पल के।।
र- राम बनना है।
रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम,
ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।।
ल- लेकर आये हैं तूफ़ां से कश्ती।
बच्चों मेरे सम्भालकर रखना कश्ती।।
व- वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफ़ल बना जावें।।
श- शालीन बनना है।
श में आशा, श में निराशा।
है जीवन आशा, है अन्त निराशा।।
ष- षटकोण(छः कोण) सम्बोधित करता है जीवनचक्र।
न्यून से प्रारम्भ, सम्पूर्ण से अनन्त।
ह- हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन।
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन।।
क्ष- क्षमाशील बनना है।
क्षत्रियों की शान है शस्त्र,
शिक्षा है हमारा अस्त्र।।
त्र- त्रिदेव को नमन।
ज्ञ- ज्ञानी बनना है।
ज्ञान ही जीवन का आधार है।
ज्ञान ही जीवन का प्रारम्भ है।।
ऋ ऋषियों की भूमि है।
भारत पावन देश है।।
श्र- श्रेष्ठ बनना है।
श्रद्धा ही आस्था की जननी है।
आस्था ही ईश्वर की प्राप्ति है।।
ढ़+ङ- पढ़ना है, लड़ना नही,
शहद बनें करेला नही।
जीवन को खुशहाल बनाना है,
यही प्रयास हमारा है।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
सुन्दर से सुन्दर। उपयोगी। ऊ में गायत्री मंत्र का पद्यानुवाद करिए।
ReplyDeletewonderful creation
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