किताबें

मेरे मन की उलझनों को सुलझाया जिसने,
अंधकार में ज्ञान का द्वीप जलाया जिसने।
हरपल हर घड़ी साथ निभाया है जिसने,
मन में रोशनी को लाया है जिसने।

कोई पोथी कहता तो कोई कहे ग्रंथ व किताब,
 हर सवालों और समस्याओं का यहीं है जवाब।
      नवीन विचारों का होता  है जिससे प्रवेश,
     न रहे मन में घृणा, ईर्ष्या और न रहे द्वेष।

आंतरिक खुशी होती है ज्ञान बढाने के साथ
मस्तिष्क का विकास और बढ़ता आत्मविश्वास
पुस्तकें तो स्वयं में होती है शिक्षक
ज्ञान कभी भी जाता नहीं निरर्थक।

है कागजों के ढेरों में छिपा विस्तृत ज्ञान
जिसमें समाया हुआ है सम्पूर्ण विज्ञान।
हे ज्ञान रूपी प्रज्ज्वलित करें अंधकार में
रोशनी ही रोशनी हो सम्पूर्ण संसार में

   करती है कोमल भावों का संचरण मन में,
   भरती है रोशनी और प्रकाश जीवन में।

रचयिता
सीमा नौटियाल, 
सहायक अध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गाड़ी,
विकास खण्ड-दशोली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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