कौआ और लोमड़ी
सुनाऊँ एक कहानी तुमको
एक पशु और पक्षी की,
भूखा कौआ लाया था मुँह में
एक टुकड़ी रोटी की।
देख रोटी कौए के मुँह में
लोमड़ी बहिना ललचायी,
पूछ कुशलता कौए की
बोली तुम गाना गाओ भाई।
पंजे पे दबा रोटी को
दिखायी अपनी चतुराई,
गाना मेरा सुन लो बहना
रोटी नीचे नहीं गिरायी।
चली लोमड़ी अपना रास्ता
कौए ने रोटी खायी,
पशु और पक्षी दोनों ही से
तुम सीखो होशियारी।
रचयिता
प्रशान्त कुमार मैन्दोलिया,
सहायक अध्यापक,
आदर्श राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैजरो,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढवाल,
उत्तराखण्ड।
एक पशु और पक्षी की,
भूखा कौआ लाया था मुँह में
एक टुकड़ी रोटी की।
देख रोटी कौए के मुँह में
लोमड़ी बहिना ललचायी,
पूछ कुशलता कौए की
बोली तुम गाना गाओ भाई।
पंजे पे दबा रोटी को
दिखायी अपनी चतुराई,
गाना मेरा सुन लो बहना
रोटी नीचे नहीं गिरायी।
चली लोमड़ी अपना रास्ता
कौए ने रोटी खायी,
पशु और पक्षी दोनों ही से
तुम सीखो होशियारी।
रचयिता
प्रशान्त कुमार मैन्दोलिया,
सहायक अध्यापक,
आदर्श राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैजरो,
विकास खण्ड-बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढवाल,
उत्तराखण्ड।
Comments
Post a Comment