गुरु की महिमा
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
बनकर ज्योतिपुँज वे खुद ही,
सच्चा मार्ग दिखाया करते।
बिना गुरु के ज्ञान न मिलता,
यही एक सच्चाई जग की।
मिल जाए यदि सही गुरु तो,
हर लेता है बाधा मग की।
रामानंद के पाँव से दबकर,
संत कबीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गुरु की महिमा का वर्णन तो,
वेद पुराणों में मिलता है।
गुरु-ज्ञान से शिष्य जगत में,
पंकज बनकर खिलता है।
गुरु वशिष्ठ का ज्ञान मिले तो,
राम, राम बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
जब संदीपनी गुरु से मिलकर,
कृष्ण-सुदामा चमक गए।
उनकी मित्रता से आश्रम के हर,
कण-कण देखो महक गए।
बालक नरेंद्र को रामकृष्ण ही,
विवेकानंद बनाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
राम की महिमा लिख पाये वे,
गुरु मिले जब नरहरिदास।
रामबोला कहलाये दुनिया में,
गोस्वामी तब तुलसीदास।
रामचरितमानस अब घर-घर,
दुनिया वाले गाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
एकलव्य धनुर्धर अर्जुन जब,
द्रोणाचार्य के साथ में आये।
अर्जुन ने साक्षात ली शिक्षा,
पर एकलव्य थे गए भगाए।
गुरु की मूर्ति से दीक्षा लेकर,
एकलव्य वीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
कृष्णभक्ति में सखा भाव जब,
मिला तो सूर, सूर हो गए।
दस दिन बड़े वल्लभाचार्यजी,
उनके गुरु मशहूर हो गए।
गुरु वहीं रह जाता है लेकिन,
शिष्य ऊँचाई पाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गौतम बुद्ध को मिले गुरु जब,
राह में आलार कलाम।
भगवान बुद्ध वे तब कहलाये,
दुनिया में हो गया नाम।
दिगम्बर साधू जब गुरु मिले,
तो महावीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
रमाकांत आचरेकर सचिन को,
मिले तो वे भगवान बने।
क्रिकेट खेल की शब्दावली के,
सभी शॉट आसान बने।
प्रकाश मेहरा ने जंजीर बनाकर,
अमिताभ को चमकाया।
वही मोड़ था जिसने बच्चन को,
शहंशाह की राह दिखाया।
एक साधारण नायक को वे ही,
महानायक बनाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
जब कृपा हुई आत्मस्थानंद की,
राजनीति में भूचाल मचा।
बनकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने,
दुनिया में इतिहास रचा।
सच्चे गुरु भक्त पर अपने,
कृपा दृष्टि बरसाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गुरु की महिमा संत कबीर ने,
साखी में अपने खूब है गाया।
जब गुरु-गोविंद दोनों खड़े हों,
तो गुरु को ही श्रेष्ठ बताया।
गुरु हमेशा भक्तों को अपने,
ईश्वर तक पहुँचाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
बनकर ज्योतिपुँज वे खुद ही,
सच्चा मार्ग दिखाया करते।
रचयिता
अरविन्द दुबे मनमौजी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अमारी,
विकास खण्ड-रानीपुर,
जनपद-मऊ।
शिष्य मंजिलें पाया करते।
बनकर ज्योतिपुँज वे खुद ही,
सच्चा मार्ग दिखाया करते।
बिना गुरु के ज्ञान न मिलता,
यही एक सच्चाई जग की।
मिल जाए यदि सही गुरु तो,
हर लेता है बाधा मग की।
रामानंद के पाँव से दबकर,
संत कबीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गुरु की महिमा का वर्णन तो,
वेद पुराणों में मिलता है।
गुरु-ज्ञान से शिष्य जगत में,
पंकज बनकर खिलता है।
गुरु वशिष्ठ का ज्ञान मिले तो,
राम, राम बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
जब संदीपनी गुरु से मिलकर,
कृष्ण-सुदामा चमक गए।
उनकी मित्रता से आश्रम के हर,
कण-कण देखो महक गए।
बालक नरेंद्र को रामकृष्ण ही,
विवेकानंद बनाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
राम की महिमा लिख पाये वे,
गुरु मिले जब नरहरिदास।
रामबोला कहलाये दुनिया में,
गोस्वामी तब तुलसीदास।
रामचरितमानस अब घर-घर,
दुनिया वाले गाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
एकलव्य धनुर्धर अर्जुन जब,
द्रोणाचार्य के साथ में आये।
अर्जुन ने साक्षात ली शिक्षा,
पर एकलव्य थे गए भगाए।
गुरु की मूर्ति से दीक्षा लेकर,
एकलव्य वीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
कृष्णभक्ति में सखा भाव जब,
मिला तो सूर, सूर हो गए।
दस दिन बड़े वल्लभाचार्यजी,
उनके गुरु मशहूर हो गए।
गुरु वहीं रह जाता है लेकिन,
शिष्य ऊँचाई पाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गौतम बुद्ध को मिले गुरु जब,
राह में आलार कलाम।
भगवान बुद्ध वे तब कहलाये,
दुनिया में हो गया नाम।
दिगम्बर साधू जब गुरु मिले,
तो महावीर बन जाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
रमाकांत आचरेकर सचिन को,
मिले तो वे भगवान बने।
क्रिकेट खेल की शब्दावली के,
सभी शॉट आसान बने।
प्रकाश मेहरा ने जंजीर बनाकर,
अमिताभ को चमकाया।
वही मोड़ था जिसने बच्चन को,
शहंशाह की राह दिखाया।
एक साधारण नायक को वे ही,
महानायक बनाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
जब कृपा हुई आत्मस्थानंद की,
राजनीति में भूचाल मचा।
बनकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने,
दुनिया में इतिहास रचा।
सच्चे गुरु भक्त पर अपने,
कृपा दृष्टि बरसाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
गुरु की महिमा संत कबीर ने,
साखी में अपने खूब है गाया।
जब गुरु-गोविंद दोनों खड़े हों,
तो गुरु को ही श्रेष्ठ बताया।
गुरु हमेशा भक्तों को अपने,
ईश्वर तक पहुँचाया करते।
गुरु सड़क है जिसे पकड़कर,
शिष्य मंजिलें पाया करते।
बनकर ज्योतिपुँज वे खुद ही,
सच्चा मार्ग दिखाया करते।
रचयिता
अरविन्द दुबे मनमौजी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अमारी,
विकास खण्ड-रानीपुर,
जनपद-मऊ।
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