गिनती
एक, दो, तीन, चार,
चलो चलें कुतुबमीनार।
पाँच, छः, सात, आठ,
देखें चलकर राजघाट।
नौ, दस, ग्यारह, बारह,
चलो चांदनी चौक फव्वारा।
तेरह, चौदह, पन्द्रह, सोलह,
कनॉट प्लेस में मुर्गा बोला।
सत्रह, अट्ठारह, उन्नीस, बीस,
सभी बच्चों मिलकर सीख।
इक्कीस, बाईस, तेईस, चौबीस,
हम गये पापा के ऑफिस।
पच्चीस, छब्बीस, सताईस, अठाईस
सबने मिलकर खायी मिठाई।
उन्तीस, तीस, इकतीस, बत्तीस,
ना खाय हलवा पूरी सस्ती।
तैंतीस, चौंतीस, पैंतीस, छत्तीस,
गुम हो गई है गाँव की बत्ती।
सैतीस, अड़तीस, उन्तालीस, चालीस,
कर लो बच्चों अपनी मालिश।
इकतालीस, बियालिस, तैंतालिस, चौआलिस,
जूतों को तुम कर लो पॉलिश।
पैतालीस, छियालिस, सैंतालिस, अड़तालीस,
अकेले जलाओ न तुम माचिस।
उनचास, पचास, इक्यावन, बावन,
लंका का राजा था रावण।
त्रेपन, चउन, पचपन, छप्पन,
बच्चों तुम रहो मगन।
सत्तावन, अठावन, उनसठ, साठ,
सबसे कर लो साँठ गाँठ।
इकसठ, बासठ, तिरेसठ, चौंसठ,
बच्चों कर लो पूजा पाठ।
पैंसठ, छियासठ, सड़सठ, अड़सठ,
करो नहीं तुम कभी भी गड़बड़।
उनहत्तर, सत्तर, इकहत्तर, बहत्तर
चलो-चलो जंतर मंतर।
तिहत्तर, चौहत्तर, पिचहत्तर, छिहत्तर,
भर लाओ पानी का कनस्तर।
सत्ततर, अठत्तर, उन्यासी, अस्सी,
पिएँगे सब मिलकर लस्सी
इक्यासी, बियासी, तिरासी, चौरासी
चलो चले मथुरा काशी।
पिच्यासी, छियासी, सतासी, अठासी
नहीं खाएँगे खाना बासी।
नौवासी, नब्बे, इक्यानवे, बानवे,
मिलकर नॉन खटाई खावें।
तिरानवे, चौरानवे, पिच्यानवे, छियानवे,
अनजान के संग ना जावें।
सत्तानवे, अठानवे, निन्यानवे, सौ
पूरी हो गई गिनती लो।
रचयिता
नीलम सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय रतनगढ़ी,
विकास खण्ड व जनपद-हाथरस।
चलो चलें कुतुबमीनार।
पाँच, छः, सात, आठ,
देखें चलकर राजघाट।
नौ, दस, ग्यारह, बारह,
चलो चांदनी चौक फव्वारा।
तेरह, चौदह, पन्द्रह, सोलह,
कनॉट प्लेस में मुर्गा बोला।
सत्रह, अट्ठारह, उन्नीस, बीस,
सभी बच्चों मिलकर सीख।
इक्कीस, बाईस, तेईस, चौबीस,
हम गये पापा के ऑफिस।
पच्चीस, छब्बीस, सताईस, अठाईस
सबने मिलकर खायी मिठाई।
उन्तीस, तीस, इकतीस, बत्तीस,
ना खाय हलवा पूरी सस्ती।
तैंतीस, चौंतीस, पैंतीस, छत्तीस,
गुम हो गई है गाँव की बत्ती।
सैतीस, अड़तीस, उन्तालीस, चालीस,
कर लो बच्चों अपनी मालिश।
इकतालीस, बियालिस, तैंतालिस, चौआलिस,
जूतों को तुम कर लो पॉलिश।
पैतालीस, छियालिस, सैंतालिस, अड़तालीस,
अकेले जलाओ न तुम माचिस।
उनचास, पचास, इक्यावन, बावन,
लंका का राजा था रावण।
त्रेपन, चउन, पचपन, छप्पन,
बच्चों तुम रहो मगन।
सत्तावन, अठावन, उनसठ, साठ,
सबसे कर लो साँठ गाँठ।
इकसठ, बासठ, तिरेसठ, चौंसठ,
बच्चों कर लो पूजा पाठ।
पैंसठ, छियासठ, सड़सठ, अड़सठ,
करो नहीं तुम कभी भी गड़बड़।
उनहत्तर, सत्तर, इकहत्तर, बहत्तर
चलो-चलो जंतर मंतर।
तिहत्तर, चौहत्तर, पिचहत्तर, छिहत्तर,
भर लाओ पानी का कनस्तर।
सत्ततर, अठत्तर, उन्यासी, अस्सी,
पिएँगे सब मिलकर लस्सी
इक्यासी, बियासी, तिरासी, चौरासी
चलो चले मथुरा काशी।
पिच्यासी, छियासी, सतासी, अठासी
नहीं खाएँगे खाना बासी।
नौवासी, नब्बे, इक्यानवे, बानवे,
मिलकर नॉन खटाई खावें।
तिरानवे, चौरानवे, पिच्यानवे, छियानवे,
अनजान के संग ना जावें।
सत्तानवे, अठानवे, निन्यानवे, सौ
पूरी हो गई गिनती लो।
रचयिता
नीलम सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय रतनगढ़ी,
विकास खण्ड व जनपद-हाथरस।
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