आओ बच्चों खेलो खेल

आओ बच्चों खेलो खेल
खेल खेल में सीखो मेल
दौड़ो, कूदो, उठो, बैठो
जितना पढ़ना लिखना
है जरूरी उतना ही है
खेल भी जीवन में जरूरी
आया देखो नया जमान  है
नई कहावत के साथ ये
खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब
शोहरत दौलत भी मिलेगी साथ
नई कामयाबी के साथ अब
आओ बच्चों खेलो खेल
खेल सिखाते अनुसाशन हैं
खेल सिखाये हर जीत को सहना
मिलजुल कर रहना कैसे
खेल-खेल में सीखें बच्चे
है जरूरी जीवन में खेल

रचयिता
माधुरी पौराणिक,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हस्तिनापुर,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-झाँसी।

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