चिड़िया

फुदक-फुदक कर आती चिड़िया,
दाल का दाना खाती चिड़िया,
एक-एक दाना चोंच में लेकर,
उड़-उड़कर रख आती चिड़िया।

कभी बैठती दीवारों पर,
आँगन में आ जाती चिड़िया,
कभी-कभी तो आसमान में,
गोते ख़ूब लगाती चिड़िया।

कभी दिखाई देती हमको,
कभी-कभी छिप जाती चिड़िया,
दूर रहो तो बैठी रहती,
पास आओ उड़ जाती चिड़िया।

रचयिता
सुधा,
जिला गाइड कैप्टन,
जनपद-गाजियाबाद।

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