राह दिखलायी
श्रेष्ठ राह जिसने दिखलायी
मंजिल क्या हो?
यह बात बतलायी।
गिरे कभी, जो उठना है कैसे?
यह बात हमें करके दिखलायी।
बिना बोले ही मेरे गुरु ने
अनमोल बातें बतलायीं।
थका कभी जब मैं, कर्म मार्ग पर
मुझमें नव ऊर्जा जगायी।
आज सशक्त हूँ, समर्पित प्रण पर,
हार न जाने की, नैतिक नीति बतलायी।
वही शाश्वत है जो टिका सत्य पर
जीवन को "सत्यं शिवम सुंदरम"
की राह बतलायी।
श्रेष्ठ राह जिसने दिखलायी
मंजिल तक कैसे पहुँचेंॽ
यह बात हर पल बतलायी।
रचयिता
डाॅ0 अनीता मुदगल,
प्रधानाध्यापिका,
श्री श्रद्धानंद प्राथमिक विद्यालय,
नगर क्षेत्र-मथुरा,
जनपद-मथुरा।
मंजिल क्या हो?
यह बात बतलायी।
गिरे कभी, जो उठना है कैसे?
यह बात हमें करके दिखलायी।
बिना बोले ही मेरे गुरु ने
अनमोल बातें बतलायीं।
थका कभी जब मैं, कर्म मार्ग पर
मुझमें नव ऊर्जा जगायी।
आज सशक्त हूँ, समर्पित प्रण पर,
हार न जाने की, नैतिक नीति बतलायी।
वही शाश्वत है जो टिका सत्य पर
जीवन को "सत्यं शिवम सुंदरम"
की राह बतलायी।
श्रेष्ठ राह जिसने दिखलायी
मंजिल तक कैसे पहुँचेंॽ
यह बात हर पल बतलायी।
रचयिता
डाॅ0 अनीता मुदगल,
प्रधानाध्यापिका,
श्री श्रद्धानंद प्राथमिक विद्यालय,
नगर क्षेत्र-मथुरा,
जनपद-मथुरा।
Comments
Post a Comment