चूँ चूँ करती प्यारी चिड़िया
चूँ चूँ चूँ चूँ जब आवाज आती,
दौड़ के मैं बाहर आ जाती।
प्यारी-प्यारी एक चिड़िया,
रोज मुझसे मिलने आती।
मुझे देखकर पंख फैलाती,
मटक-मटक कर मुझे दिखाती।
फुदक-फुदक कर जब वो चलती,
मैं भी उसकी नकल करती।
उसको मैं दाना देती, पानी देती,
उसके संग में खूब खेलती।
प्यारे-प्यारे हैं उसके दो बच्चे,
अभी घोंसले में वो रहते।
रोज उनको वह दाना चुगाती,
अपना भी खाना उन्हें खिलाती।
रोज सुबह वो समय से आती
चूँ चूँ करके हमें जगाती।
मुझसे वो प्यार जताती,
नाच-नाच कर मुझे दिखाती।
बहुत प्यारी वो मुझको लगती,
मेरी हर बात समझती।
चूँ चूँ चूँ चूँ जब आवाज आती,
दौड़ के मैं बाहर आ जाती।
रचयिता
सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।
दौड़ के मैं बाहर आ जाती।
प्यारी-प्यारी एक चिड़िया,
रोज मुझसे मिलने आती।
मुझे देखकर पंख फैलाती,
मटक-मटक कर मुझे दिखाती।
फुदक-फुदक कर जब वो चलती,
मैं भी उसकी नकल करती।
उसको मैं दाना देती, पानी देती,
उसके संग में खूब खेलती।
प्यारे-प्यारे हैं उसके दो बच्चे,
अभी घोंसले में वो रहते।
रोज उनको वह दाना चुगाती,
अपना भी खाना उन्हें खिलाती।
रोज सुबह वो समय से आती
चूँ चूँ करके हमें जगाती।
मुझसे वो प्यार जताती,
नाच-नाच कर मुझे दिखाती।
बहुत प्यारी वो मुझको लगती,
मेरी हर बात समझती।
चूँ चूँ चूँ चूँ जब आवाज आती,
दौड़ के मैं बाहर आ जाती।
रचयिता
सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।
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