४४२~ उषा गौड़ (स०अ०) रा०पू०मा०वि० - डोईवाला ब्लॉक - डोईवाला जनपद - देहरादून, उत्तराखंड

        🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन उषा गौड़ जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से अनेकों भौगोलिक और सामाजिक विषमताओं के बीच सदैव विद्यालय और बच्चों के हित एवं उत्थान के लिए समर्पित प्रयासों को करते हुए विद्यालय को बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र एवं सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। जो हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय प्रयास हैं।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:

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🔹शिक्षक का परिचय🔹
उषा गौड़ (स०अ०)
रा०पू०मा०वि० - डोईवाला
ब्लॉक - डोईवाला
जनपद - देहरादून, उत्तराखंड

A 👉 नियुक्ति वर्ष: मेरी प्रथम नियुक्ति 9-3-1995 में हुई थी।वर्तमान विद्यालय में स्थानांतरण जनवरी 2017
B 👉 विद्यालय की समस्याएं :- मेरी प्रथम नियुक्ति 9-3-1995 में रा०प्रा०वि० मटियाला में हुई। दौ वर्ष की सेवा के उपरांत मेरा स्थानांतरण रा०प्रा०वि०-पालछुनी में हुआ। यहाँ पर छात्र सं.80 थी जन सम्पर्क व जनजागरुकता के कारण यहाँ पर छात्र सं. 100 तक हो गयी। चूंकि यहाँ पर विषम भौगोलिक परिस्थितियों को झेलते हुए मानूर गांव के बच्चे आते थे। मानूर गांव में विद्यालय बन चुका था सभी चाहते थे मानूर गांव में विद्यालय का संचालन हो गांव वाले विभाग से मेरे नाम का आदेश विद्यालय संचालन हेतु ले आये। लेकिन विद्यालय संचालन में भौतिक संसाधनों की समस्याएं।।
दिसंबर 2008 में मेरा प्रमोशन रा० क०उ०प्रा०वि०- चोपता में हुआ। यहाँ पर भी विद्यालय संचालन हेतु भौतिक संसाधनों की समस्या सामने थी। अगला स्थांतरित विद्यालय रा०पू०मा०वि०- गढसिर नारायणबगड़ चमोली। यहाँ पर भी विद्यालय भवन में छत, नाली, और फील्ड की समस्या। अगला स्थांतरित विद्यालय रा०पू०मा०वि०-डोईवाला यहाँ पर भी विद्यालय भवन में पुताई की समस्या, छात्र/छात्राओं में गणवेश का अभाव, फुलवारी का अभाव, छात्र संख्या आदि की समस्याएं।
C 👉 समस्या समाधान:-
1- जब मैं सर्वप्रथम रा०प्रा०वि०-पालछुनी नारायणबगड़ चमोली 1997 में आयी तो यहाँ पर छात्र संख्या को घटते पाया इसके लिए जनसंपर्क के साथ जन जागरूकता किया गया जिसके उपरांत 20 बच्चों को विद्यालय पंहुचा कर शिक्षा की मुख्य धारा से जोडा गया।
2- रा०प्रा०वि० मानूर नारायणबगड़ चमोली में जब विद्यालय संचालन किया तो यहाँ पर अकेले ही स्वयं के व्यय से और ग्रामसभा के सहयोग से भौतिक संसाधनों को जुटाने के साथ ही 15 बच्चों से विद्यालय संचालन का कार्य प्रारंभ, जिसमें छात्र संख्या एक साल के अन्तर्गत 29 तक पहुँच गयी।
2005 में हरियाली कार्यक्रम के तहत विद्यालय परिसर में 400 फलदार वृक्षों का रोपण ग्रामसभा और माननीय विधायक श्री गोविंद लाल शाह जी के आतिथ्य में किया गया। साथ ही चहारदीवारी​ निर्माण, शौचालय निर्माण का कार्य करवाया गया। इसके अलावा अतिरिक्त समय देकर छात्र/छात्राओं की अतिरिक्त तैयारी करवाई गई जिसके परिणामस्वरूप छात्र/छात्राओं का चयन राज्य स्तर तक हुआ। तथा एक छात्र का चयन नवोदय विद्यालय पीपल कोटी हेतु हुआ।
विद्यालय की कोटि ब्लाक स्तर पर A ग्रेड पर पहुंची।
3- रा०क०पू०मा०वि०- चोपता चमोली में विद्यालय का संचालन जिसका संचालन विगत पांच वर्षों से नहीं हो पा रहा था। लेकिन संचालन हेतु भौतिक संसाधनों की कमी जिसके लिए स्वयं के व्यय से और ग्रामसभा के सहयोग से 14 बालिकाओं के साथ विद्यालय का संचालन प्रारंभ किया गया। जिसमें संख्या बढ़कर 29 हो गई। साथ ही विद्यालय अवकाश के बाद छात्र/छात्राओं को अतिरिक्त समय दिया गया। क्योंकि मैं यहाँ पर 3 कक्षाओं के लिए अकेली अध्यापिका थी इसलिए अतिरिक्त समय देकर पढ़ाती थी। यहाँ पर बच्चों ने खेल- कूद में जिला स्तर तक प्रतिभाग कर स्थान पाया।
4- रा०पू०मा०वि० गढसिर नारायणबगड़ चमोली यहाँ पर भी विद्यालय भवन की छत टपकने और नाली से विद्यालय कक्षा-कक्षों में पानी का रिसाव तथा फील्ड का ना होना। अभिभावकों व ग्रामसभा के सहयोग से छत की मरम्मत, विद्यालय के पीछे नाली का निर्माण, फिल्ड निर्माण तथा बच्चों को विद्यालय में नामांकन हेतु जागरुक किया गया।
5- रा०पू०मा०वि०- डोईवाला में विद्यालय भवन पर रंग-रोगन करवाया गया। साथ ही स्वयं के व्यय से छात्र/छात्राओं के गणवेश में सुधार हेतु स्वयं के व्यय से छात्रों को टाई-बेल्ट से क्रय किया गया। इसके साथ ही स्वयं के व्यय से खंडर पडे कमरे की मरम्मत करवा कर और उस पर रंग-रोगन कर टी०एल०एम कक्ष बनाया गया और उसमें स्वयं के व्यय से टी०एल०एम० बनवाया गया। इसके साथ ही फुलवारी निर्माण करवाया गया। इसके अतिरिक्त छात्र/छात्राओं को अतिरिक्त समय में अवकाश के उपरांत तैयारी करवाई गई जिसके परिणामस्वरूप छात्र /छात्राओं का चयन नेशनल तक हुआ है।
विद्यालय की छात्र संख्या 125 से बढ़ कर 188 हो गयी। जिसके लिए जन-जन सम्पर्क किया गया विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया गया। जिसके लिए अभिभावकों को बच्चों को नामांकन हेतु प्रेरित किया गया।






















D👉 विद्यालय की प्रेरक शिक्षण विधियां :-
1👉 सर्वप्रथम जो छात्र/छात्राएं पढ़ाई में कमजोर थे और जो धाराप्रवाह से पढ नहीं पा रहे थे। उनको सूचीबद्ध कर विद्यालय अवकाश के उपरांत अतिरिक्त समय देकर शिक्षण कार्य कर धारा प्रवाह से जोडा गया।
2👉 हर माह दीवार पत्रिका नवांकुर का प्रकाशन।
3👉 विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाना जिसके परिणामस्वरूप छात्र /छात्राओं का चयन नवोदय विद्यालय और छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए हुआ।
4👉 छात्र/छात्राओं को मध्याह्न भोजन हेतु स्वयं के व्यय से डाइनिंग टेबल और कुर्सियां क्रय की गयी।
5👉जिला स्तरीय बाल कवि सम्मेलन में छात्र/छात्राओं की प्रतिभागिता।
6👉समर कैंप में कमजोर छात्र /छात्राओं के काठिन्य निवारण, टी०एल०एम० निर्माण और क्राफ्ट सीखाना।

🔹 विद्यालय और बच्चों की उपलब्धि:-
1👉 विद्यालय में छात्र संख्या के अनुरुप श्री राम फाउंडेशन संस्था के द्वारा विद्यालय की दशा और दिशा में अमूल चूक बदलाव किए हैं, जिसमें विद्यालय भवन में पुताई, शौचालय का निर्माण पानी के टैंक का निर्माण, विज्ञान प्रयोगशाला और लाईब्रेरी का निर्माण किया गया, साथ ही इंडिगो बस में एक बार में 20 बच्चों हेतु कम्प्यूटर सिखाने की व्यवस्था तथा स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाने की सुविधा मौजूद है।
2👉 शीर्ष संस्था द्वारा समय-समय पर अध्यापक, बच्चों वाली अभिभावकों को आपदा न्यूनीकरण की जानकारी।
3👉 खेलकूद​ प्रतियोगिता व सांस्कृतिक प्रतियोगिता में छात्र/छात्राओं का चयन संकुल, ब्लाक, जनपद, राज्य व नैशनल स्तर तक हुआ है।
4 👉 आदर्श स्वायत्तता औद्योगिक विकास समिति के द्वारा समय-समय विभिन्न कार्यक्रम किये जाते है।

🔹शिक्षक और विद्यालय की उपलब्धि -
1👉 विद्यालय भवन के कक्षा-कक्षों में फर्स का क्षतिग्रस्त होने पर सभी स्टाफ की अनुमति से पत्थर लगवाये गये। जिसके ढुलान का भाडा स्वयं के द्वारा दिया गया तथा भवन को सुंदर फुलवारी से सुसज्जित किया गया।
2 👉 2009 में दक्षता पुरस्कार, तथा 2019 में विभिन्न संस्थाओं द्वारा इनोवेटिव टीचर अवार्ड, ग्रीन मेंटर अवार्ड, आदर्श शिक्षा रत्न और राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान दिया गया।
3👉 बच्चों को इंस्पायर अवार्ड हेतु प्रौजक्ट निर्माण और जिला स्तर तक प्रतिभाग।
4 👉 विद्यालय की कोटि को A ग्रेड तक पहुंचाना।
5 👉 नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विद्यालय को पुरस्कार।
6 👉 प्रत्येक वर्ष समर कैंप का आयोजन जिसमें कमजोर छात्र/छात्राओं को अतिरिक्त शिक्षण की व्यवस्था और क्राफ्ट सीखाना।






🔹मिशन शिक्षण संवाद परिवार के लिए संदेश -
👉मिशन शिक्षण संवाद समूह से जुड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।इस समूह से जुड़ कर मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला जिसका ज्ञान मैंने अपने छात्र/छात्राओं तक पहुंचाया। मिशन शिक्षण संवाद की संकलन कर्ता टीम "बसुदेव कुटुंबकम् का भाव लेकर हमेशा ही नियत समय पर समाचार, योगाभ्यास, दैनिक श्यामपट्ट संदेश कार्य, दैनिक प्रतियोगिता प्रभात, दैनिक नैतिक प्रभात, दैनिक बाल विज्ञान प्रश्नोत्तरी के द्वारा अपनी कड़ी मेहनत से समस्त विद्यालयों तक लाभ पहुंचा रहे हैं। जिससे विद्यालय के छात्र/छात्राओं की प्रतिभाओं में अद्भुत निखार देखने को मिला है। इस प्रेरणादायी मंच से जुड़ना मेरा और समस्त छात्र /छात्राओं का परम सौभाग्य है।

🔹शिक्षक और समाज के लिए संदेश -
कहा जाता है कि अध्यापक का दर्पण उसका छात्र है। यदि हमें अपनी परछाईं देखनी हो तो उसे हम अपने छात्र में देख सकते हैं। देश का भविष्य अध्यापक के कंधों में है। अध्यापक निर्माण कर्ता है। इसलिए बालमन को समझ कर और उससे आत्मसात करना​ होगा और उसकी प्रतिभाओं को पहचान कर उजागर करना होगा और उस प्रतिभा को सही दिशा प्रदान करनी होगी।क्योंकि देश का सम्पूर्ण भविष्य इन्हीं में निहित है और समाज से भी अनुरोध है कि नौनिहालों के भविष्य का ध्यान रखते हुए स्वच्छ और सुसंस्कृत सामाजिक वातावरण तैयार करें।

साभार:- माधव सिंह नेगी, श्रीमती विजया शर्मा।

📝🖍 प्रेरणा, संकलन व सहयोग के लिए 👉मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी लक्ष्मण सिंह मेहता जी का हार्दिक आभार।
08-05-2020

नोट: मिशन शिक्षण संवाद में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर- 9458278429 पर लिखें।

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