काग़ज़ की नाव

आओ बच्चों हम सब मिलकर
काग़ज़ की नाव बनाते हैं

फिर उसको चलाएँ सब मिलकर
रिम झिम बरसात के पानी में

यह नीली नाव है सोनम की
और पीली नाव शिवानी की

यह नाव सफे़द अभय की है
वह काली नाव है रानी की

आओ पानी में डालें इसे
इसकी चलती रंगत देखें

इक नाव में कुछ हल्की चीज़ें
इक नाव में कुछ भारी रखें

हल्की नाव सर सर सर सर
बहती जाती है पानी में

जो भारी नाव है वह अक्सर
हिचकोले लेती है रुककर

बच्चों इस सीख पे ध्यान धरो
यह नाव हमारा जीवन है

जीवन जितना हल्का होगा
रफ़्तार भी उतनी तेज़ होगी

जीवन जब भारी होएगा
रफ़्तार भी मद्धम होएगी

पानी और नाव को जीवन से
बच्चों जोड़ो और ध्यान धरो

साँसें इक नाव है काग़ज़ की
और पानी जीवन धारा है

जो इसको समझ लेगा उसके
जीवन में सदा किनारा है
जीवन मे सदा किनारा है।

रचयिता
नुसरत जहाँ,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय टेकुआपीती,
विकास खण्ड-सहजनवा,
जनपद-गोरखपुर।

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