धरती माँ
मुन्ना-मुन्नी लेकर साइकिल,
निकले दुनिया घूमने,
पहिये ऐसे हवा में घूमें,
लगे आसमां चूमने,
बिल्ली बनके बैठी गाइड,
साइकिल पर सबसे आगे,
जहाँ इशारा कर दे बिल्ली,
साइकिल उधर ही भागे,
रस्ता लम्बा, बादल आए
मगर न बरसा पानी,
जंगल कटने से ही पैदा,
हुई है ये परेशानी,
थके हुए जब मुन्ना-मुन्नी,
वापिस घर को आये,
सोचा कैसे अपनी धरती,
को हम सभी बचायें
धरती माँ ने खुद ही,
उनको दिया उपाय,
अगर बचाना चाहो मुझको,
तो फिर पेड़ लगायें
रचनाकार
असमा सुबहानी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बूड़पुर जट्ट,
विकास खण्ड-नारसन,
जनपद-हरिद्वार।
निकले दुनिया घूमने,
पहिये ऐसे हवा में घूमें,
लगे आसमां चूमने,
बिल्ली बनके बैठी गाइड,
साइकिल पर सबसे आगे,
जहाँ इशारा कर दे बिल्ली,
साइकिल उधर ही भागे,
रस्ता लम्बा, बादल आए
मगर न बरसा पानी,
जंगल कटने से ही पैदा,
हुई है ये परेशानी,
थके हुए जब मुन्ना-मुन्नी,
वापिस घर को आये,
सोचा कैसे अपनी धरती,
को हम सभी बचायें
धरती माँ ने खुद ही,
उनको दिया उपाय,
अगर बचाना चाहो मुझको,
तो फिर पेड़ लगायें
रचनाकार
असमा सुबहानी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बूड़पुर जट्ट,
विकास खण्ड-नारसन,
जनपद-हरिद्वार।
Thank you so much...
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन ।
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