शिक्षण में दृष्टिकोण का महत्व
दृष्टिकोण- चीजों को देखने का नजरिया जो तय करता है कि हमे सकारात्मकता के प्रकाश में विकास की ओर अग्रसर होना है अथवा नकारात्मकता के अंधकार मे खो जाना है। वास्तव में किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक दृष्टिकोण ही सफलता की मंजिल तक ले जाने में हमारी मदद करता है।
शिक्षण के क्षेत्र में दृष्टिकोण का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि शिक्षक ही अपने दृष्टिकोण से शिष्यों की मानसिकता को विकसित करता है, चीजों को देखने का एक नजरिया पैदा करता है इसलिए शिक्षक का दृष्टिकोण किसी भी राष्ट्र किसी भी समाज के लिए बहुत महत्व रखता है, यही भविष्य निर्माता होता है इसलिए इसे सकारात्मक होना ही चाहिए।
अब हमें यह भी समझना होगा कि हम कैसे पहचानें कि हम अपने शिष्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं या नहीं। जी हाँ किसी कार्य में बार-बार असफल होने के बावजूद भी यदि हम अपने शिष्य को उसकी सफलता के प्रति आशान्वित बनाए रखें तो हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक है किंतु ये कैसे सम्भव हो?
मूल्यांकन करते हुए छात्र को केवल उसकी त्रुटियों का ही अहसास न कराया जाए। पहले उसकी उपलब्धियों का बखान किया जाए। उसे इस बात का आभास कराया जाए कि उसने कितना सही किया है फिर उसे बताएँ कि थोड़ा सा प्रयास और करे तो वह बहुत कुछ कर सकता है।
मै अमुक कार्य कर सकता हूँ तो अवश्य ही वह कार्य होगा यह सकारात्मक दृष्टिकोण प्रत्येक छात्र के अंदर पैदा करना होगा। शिक्षक जिस दृष्टिकोण से अपने शिष्य को देखेगा वह वैसा ही होगा। यदि एक शिक्षक सोचता है कि उसका अमुक छात्र बहुत अच्छा है वह अमुक प्रतियोगिता में सफल अवश्य होगा तो अवश्य ही वह सफल होगा।
मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि अपेक्षा ही विश्वास पैदा करती है और वहीं से अपेक्षित के प्रति हमारा व्यवहार बदलता है। इस बात को हम इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि जिस बच्चे से हमें ज्यादा अपेक्षा होती है। उसी पर हमारा ज्यादा ध्यान होता है। उसकी हर समस्या के समाधान को हम तत्पर रहते हैं। यदि प्रत्येक बच्चे को उसी दृष्टिकोण से देखें तो निश्चित ही परिणाम अलग होंगे।
सकारात्मक दृष्टिकोण हमें मानसिकता के विकास की ओर ले जाता है जबकि नकारात्मक दृष्टिकोण जड़ मानसिकता की ओर। इसलिए आइए हम अपने प्रत्येक छात्र को एक नए दृष्टिकोण से देखें। उससे कहें अरे वाह! जब तुमने ये सही कर दिया तो अब ये भी सही कर लोगे। यही भाव उसमें सफलता की आशा का संचार करेगा। उसे निराशा और तनाव के गहरे अंधकार से निकालकर आशा और विश्वास के प्रकाश की ओर ले जाएगा एक उज्जवल भविष्य के पथ पर।
लेखक
अर्चना आर्या,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रामपुर-1,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद-मुजफ्फरनगर।
Bahut hi sunder avum sarthuk lekh . Ati uttam.
ReplyDeleteBhut bhut sunder aur sarthak lekh
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर व सकारात्मक विचार
ReplyDeleteVery good .... Positive and motivational
ReplyDeleteएकदम सही बात mam
ReplyDeleteI agree,
A very positive article which is very important in today's world.
ReplyDeleteYou are right
ReplyDeleteVery nice
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