भ्राता दिवस
प्रकृति का प्यारा वरदान है भाई, हम बहनों की जान है भाई,
माँ-पापा आपको लाख शुक्रिया, जो दिया है हमको सुंदर सा भाई।
मम्मी-पापा के आँगन का, एक खिलौना प्यारा है तू,
सबके दिल का टुकड़ा है तू, सबका राजदुलारा है तू।
प्यारा सा सूरज चन्दा है, हम बहनों का जग सारा है तू,
तेरे बिन हम सब हैं सूने, हम सबका एक सहारा है तू।
जब से मैंने होश सँभाला, संग हर पल पाया तुझको भाई,
जब भी गिरी लड़खड़ाकर मैं, आकर तूने मुझे सँभाला भाई।
लगी चोट मुझे कभी जो, मेरे दर्द से तू है रोया भाई,
देखे जब मेरी आँखों में आँसू, दौड़कर तूने गले लगाया भाई।
मुझसे कोई काम जब बिगड़े, लिए तूने इल्जाम सिर अपने भाई,
मम्मी पापा के गुस्से से तूने, हर पल मेरी जान बचाई भाई।
स्कूल कॉलेज संग जाकर, हम करते थे खूब पढाई,
छेड़ा जो कभी किसी ने मुझको, तू उनकी करता था खूब पिटाई।
जब उठी थी डोली घर से मेरी, याद है मुझको वो दिन भाई,
याद में मेरी रोया था तू, तूने खाया था ना खाना भाई।
आई जब कोई विपदा मुझ पर, राखी का फ़र्ज़ निभाया तूने,
हर मुश्किल और हर गम में, सदा साथ निभाया तूने।
कभी माँ का आँचल बनकर, कष्टों से मुझे बचाया तूने,
कभी पिता का साया बनकर, हौंसला मेरा बढ़ाया तूने।
खून का रिश्ता है तुझसे, तोड़े ना टूटे ये झट से,
रब से यही दुआ है बहनों की, प्रेम का बंधन कभी ना टूटे ये चट से।
लग जाए तुझको मेरी उमर, गम का कभी ना साया हो,
खुश रहे सदा तू जीवन में, खुशियों की हर पल छाया हो।
हम बहनों का है अनमोल रतन तू, तुझ बिन जग से ना कोई अभिलाषा है,
फले फूले तू जीवन में, हम बहनों कि बस यही एक आशा है।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
माँ-पापा आपको लाख शुक्रिया, जो दिया है हमको सुंदर सा भाई।
मम्मी-पापा के आँगन का, एक खिलौना प्यारा है तू,
सबके दिल का टुकड़ा है तू, सबका राजदुलारा है तू।
प्यारा सा सूरज चन्दा है, हम बहनों का जग सारा है तू,
तेरे बिन हम सब हैं सूने, हम सबका एक सहारा है तू।
जब से मैंने होश सँभाला, संग हर पल पाया तुझको भाई,
जब भी गिरी लड़खड़ाकर मैं, आकर तूने मुझे सँभाला भाई।
लगी चोट मुझे कभी जो, मेरे दर्द से तू है रोया भाई,
देखे जब मेरी आँखों में आँसू, दौड़कर तूने गले लगाया भाई।
मुझसे कोई काम जब बिगड़े, लिए तूने इल्जाम सिर अपने भाई,
मम्मी पापा के गुस्से से तूने, हर पल मेरी जान बचाई भाई।
स्कूल कॉलेज संग जाकर, हम करते थे खूब पढाई,
छेड़ा जो कभी किसी ने मुझको, तू उनकी करता था खूब पिटाई।
जब उठी थी डोली घर से मेरी, याद है मुझको वो दिन भाई,
याद में मेरी रोया था तू, तूने खाया था ना खाना भाई।
आई जब कोई विपदा मुझ पर, राखी का फ़र्ज़ निभाया तूने,
हर मुश्किल और हर गम में, सदा साथ निभाया तूने।
कभी माँ का आँचल बनकर, कष्टों से मुझे बचाया तूने,
कभी पिता का साया बनकर, हौंसला मेरा बढ़ाया तूने।
खून का रिश्ता है तुझसे, तोड़े ना टूटे ये झट से,
रब से यही दुआ है बहनों की, प्रेम का बंधन कभी ना टूटे ये चट से।
लग जाए तुझको मेरी उमर, गम का कभी ना साया हो,
खुश रहे सदा तू जीवन में, खुशियों की हर पल छाया हो।
हम बहनों का है अनमोल रतन तू, तुझ बिन जग से ना कोई अभिलाषा है,
फले फूले तू जीवन में, हम बहनों कि बस यही एक आशा है।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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