फिर से महकेगी ये बगिया
फिर से महकेगी ये बगिया
फिर से चहकेगी वो चिड़िया।
फिर से होगी उन नन्हों से
जाने कितनी ढेर सी बतियाँ।।
सूनी है जो आज दीवारें
वो गलियारा और वो गलियाँ।
नीम का वो पेड़ वहीं है
रास्ता देख रही है अँखियाँ।।
आँगन सूना, द्वार है सूना
न कोलाहल न वो शोर।
याद बहुत आती है मुझको
उन नन्हें कदमों की ध्वनियाँ।।
निश्चल सा वो प्रेम तुम्हारा
हाथ पकड़कर मुझे बुलाना।
मीठी-मीठी बातें करना,
बाँटना मुझसे अपनी खुशियाँ।।
कठिन समय है कट जाएगा
फिर से वो मौसम आएगा।
दिन सारे ये बीत जाएँगे
बीत जाएँगी काली रतियाँ।।
लौट आएँगे दिन वो प्यारे
पढ़ेंगे हम और खेलेंगे सारे।
भूल न जाना मेरी बातें
लिख दी हैं तुमको ये चिठियाँ।।
रचयिता
डॉक्टर नीतू शुक्ला,
प्रधान शिक्षक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेथर 1,
विकास खण्ड-सिकन्दर कर्ण,
जनपद-उन्नाव।
फिर से चहकेगी वो चिड़िया।
फिर से होगी उन नन्हों से
जाने कितनी ढेर सी बतियाँ।।
सूनी है जो आज दीवारें
वो गलियारा और वो गलियाँ।
नीम का वो पेड़ वहीं है
रास्ता देख रही है अँखियाँ।।
आँगन सूना, द्वार है सूना
न कोलाहल न वो शोर।
याद बहुत आती है मुझको
उन नन्हें कदमों की ध्वनियाँ।।
निश्चल सा वो प्रेम तुम्हारा
हाथ पकड़कर मुझे बुलाना।
मीठी-मीठी बातें करना,
बाँटना मुझसे अपनी खुशियाँ।।
कठिन समय है कट जाएगा
फिर से वो मौसम आएगा।
दिन सारे ये बीत जाएँगे
बीत जाएँगी काली रतियाँ।।
लौट आएँगे दिन वो प्यारे
पढ़ेंगे हम और खेलेंगे सारे।
भूल न जाना मेरी बातें
लिख दी हैं तुमको ये चिठियाँ।।
रचयिता
डॉक्टर नीतू शुक्ला,
प्रधान शिक्षक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेथर 1,
विकास खण्ड-सिकन्दर कर्ण,
जनपद-उन्नाव।
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