संख्या
पाठ : संख्या
लेखक
विकास तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अताय,
विकास खंड-शहाबगंज,
जनपद-चन्दौली।
( कहानी संवाद द्वारा अंकों की पहचान
)
गोलू, मोलू से-जानते हो संख्या किसे कहते हैं?
मोलू : हाँ, एक दो
तीन को।
गोलू : अच्छा, ठीक है। जानते हो गिनती को संख्या कहते हैं।
मोलू : गिनती को।
गोलू : हाँ। चलो तुम्हें एक कहानी
सुनाता हूँ।
मोलू : सुनाओ।
गोलू : बहुत समय पहले जब लोगों ने
बोलना सीखा तो उनके पास अपने काम को व्यक्त(बताने) करने में समस्या होने लगी।
मोलू : कैसी समस्या?
गोलू : देखो पहले के लोग शिकार करते
थे।
मोलू : लेकिन इसका संबंध गिनती से
कैसे?
गोलू : है। कितनी हैं? ये प्रश्न एक दूसरे से पूछते होंगे वे लोग और यहीं से जन्म
होता है संख्या का।
मोलू : थोड़ा विस्तार से समझाओ।
गोलू : देखो उस समय जब लोग अगर पूछते
होंगे कि हम लोगों ने कितने दिन पहले शिकार किया? तो उसके जबाब में लोग क्या कहते होंगे?
मोलू : क्या?
गोलू : पिछले दिन से, एक दिन पहले, से एक दिन पहले,
से एक दिन पहले।
मोलू : यार ये जबाब तो बड़ा टेढ़ा है।
गोलू : हाँ। मगर उस समय तो बड़ी चीज
रही होगी। फिर कुछ दिन बाद उनके जबाब भी बदल गए होंगे।
मोलू : कैसे?
गोलू : जब कभी भी कितने का प्रश्न
उठता होगा तब वे उँगली उठाकर कहते होंगे जितनी उँगली है उतने।
मोलू : वाह। तब तो वे आज की तरह
गिनना जान गए होंगे।
गोलू : नहीं, लेकिन गिनती गिनने की कोशिश कर रहे थे।
मोलू : उलझाओ नहीं बताओ कैसे?
गोलू : हरेक हाथ में आपको एक उँगली,
एक और उँगली, एक और उँगली,
एक और उँगली और एक और उँगली दिखेगी।
मोलू : यार अब तुम केवल उलझा रहे हो।
गोलू : जानते हो हमारे हाथ की सभी उँगलियों
के नाम भी हैं।
मोलू : क्या?
गोलू : आप प्रत्येक उँगली को नाम भी
दे सकते हैं। जो सबसे अलग को बाहर की ओर है उसे अँगूठा कहते हैं। अँगूठे के पास
वाली उँगली तर्जनी होती है। उसके पास वाली उँगली मध्यमा या मध्य उँगली होती है।
उसके पास वाली उँगली जिसमें अँगूठी पहनते हैं को अनामिका कहते हैं और उसके पास
वाली अंतिम और सबसे छोटी उँगली को कनिष्ठा कहते हैं।
मोलू : वाह।
गोलू : एक, एक और एक कब तक करते?
मोलू : फिर?
गोलू : उन्होंने तर्जनी और मध्यमा की
जोड़ी को अब दो कहने लगे थे।
मोलू : तब।
गोलू : इसी तरह तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को दिखाकर तीन।
मोलू : तब वे पाँचों उँगलियों को
दिखाकर पाँच भी कहना सीख गए होंगे।
गोलू : हाँ और दोनों हाथों को दिखाकर
छः, सात, आठ, नौ और दस।
मोलू : यानी अंक एकाएक नहीं आए।
गोलू : हाँ। समय के साथ विस्तार होता
गया और पैरों की उँगलियों को मिलाकर ग्यारह से बीस तक।
मोलू : लेकिन लिखते कैसे होंगे?
गोलू : डंडे की तरह।
मोलू : यानी?
गोलू : एक को ।, दो को ।।, तीन को ।।।,
चार को ।।।। इसी तरह सभी संख्याओं को।
मोलू : अच्छा।
गोलू : आज की संख्याएँ इसी विकास का
परिणाम हैं।
विकास तिवारी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अताय,
विकास खंड-शहाबगंज,
जनपद-चन्दौली।
Very good
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