वीर विनायक सावरकर

आओ बच्चों तुम्हें सुनाएँ सावरकर की गाथा आज,
कौन थे वो और क्या थे उनके सराहनीय काज,

नासिक के भूमर गाँव में जन्मा था ये वीर स्वतंत्रता सेनानी,
28 मई सन् 1883 में राधाबाई  के आँगन में खिला था फूल एक अभिमानी।

विनायक दामोदर सावरकर के नाम से जाने इनको दुनिया सारी,
इनके महान विचारों और कार्यों पर अभिमान करे दुनिया सारी,

देश की सेवा करने को, दिल लगाकर की खूब पढाई,
यमुनाबाई संग ब्याह रचाकर, दो पुत्र और एक पुत्री पाई।

भारत माँ को आजाद कराने, एक वीर सिपाही निकला था,
अंग्रेजों को मार भगाने, सिर पे अपने कफ़न उसने बाँधा था।

इस देशभक्त ने दस वर्ष की दुर्गम जेल यात्रा भी कर डाली थी,
पीछे कैसे हट जाता वो, जब भारत माँ को आजाद कराने की कसम उठा ली थी।

खान गुणों की थी उनमें, भारत माँ का ऐसा राजदुलारा था,
भारत माँ का ये बेटा हिंदुत्व का सबसे बड़ा पुजारी था।

महान कवि, क्रांतिकारी राजनेता, भाषाविद, महान दृष्टा,
इतिहासकार, समाज सुधारक, वकील, लेखक और थे ये महान वक्ता।

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने उनको 6 बार अध्यक्ष चुना था,
हिंदी, हिन्दू और हिंदुस्तान के लिए इस वीर ने जीवन भर कार्य किया था।

भारत माँ के इस बेटे ने भारतीय झंडा सर्वप्रथम बनाया था,
जिसको मैडम कामा ने 1907 में जर्मनी में फहराया था।

भारत माँ का ये सपूत महात्मा गांधी और अहिंसा का घोर आलोचक था,
आजादी के बाद गोवा की मुक्ति की सर्वप्रथम आवाज उठाने वाला था।

1906 में स्वदेशी का नारा देकर भारत में विदेशी वस्त्रों की जलाई थी होली,
इस प्रथम राजनीतिक कैदी ने एक अछूत को बना डाला था मंदिर का पुजारी।

एक हजार पन्नों में जिसने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास था लिख डाला,
26 फरवरी 1966 में स्वर्ग सिधार गया एक आजादी का मतवाला।

फक्र करे भारत माँ अपने ओजस्वी वीर सपूतों पर,
हँसते-हँसते जो हो गए न्योछावर, भारत माँ की आजादी पर।

आओ हम सब करें नमन उन आजादी के वीर शहीदों को,
अपनी जान लुटाकर जो दे गए आजादी हम सबको।

रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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