तम्बाकू निषेध
धूम्रपान है कितना घातक,
करने वाले सोच लो।
जीवन का यह अंत करेगा,
धूम्रपान को छोड़ दो।
मुख से इसे लगाते हैं,
शुरू-शुरू में शौक से।
धीरे-धीरे ले जाता है,
तुम्हें पास ये मौत के।
धीरे-धीरे लत है लगती,
काम रोज का होता है।
भूल जाता है वश में होकर,
अमूल्य जीवन खोता है।
दुःखी होते हैं सारे अपने,
नित-नित जब यह होता है।
नहीं समझता मानव अपना,
मान सम्मान भी खोता है।
लगती है तब सौ बीमारी,
मनुष्य समझ न पाता।
दाँतों का सड़ना, गले का कैंसर,
मुख से बोल न पाता।
दूर रहो सब व्यसनों से,
रोगों से तुम मुक्त रहो।
अच्छा खाओ अच्छा सोचो,
बुरी लतों से दूर रहो।
त्यागो इसको वक्त के रहते,
शुद्ध खाओ और स्वस्थ रहो।
मिलता नहीं हर रोज तन-मन,
जीवन को भरपूर जिओ।
रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
करने वाले सोच लो।
जीवन का यह अंत करेगा,
धूम्रपान को छोड़ दो।
मुख से इसे लगाते हैं,
शुरू-शुरू में शौक से।
धीरे-धीरे ले जाता है,
तुम्हें पास ये मौत के।
धीरे-धीरे लत है लगती,
काम रोज का होता है।
भूल जाता है वश में होकर,
अमूल्य जीवन खोता है।
दुःखी होते हैं सारे अपने,
नित-नित जब यह होता है।
नहीं समझता मानव अपना,
मान सम्मान भी खोता है।
लगती है तब सौ बीमारी,
मनुष्य समझ न पाता।
दाँतों का सड़ना, गले का कैंसर,
मुख से बोल न पाता।
दूर रहो सब व्यसनों से,
रोगों से तुम मुक्त रहो।
अच्छा खाओ अच्छा सोचो,
बुरी लतों से दूर रहो।
त्यागो इसको वक्त के रहते,
शुद्ध खाओ और स्वस्थ रहो।
मिलता नहीं हर रोज तन-मन,
जीवन को भरपूर जिओ।
रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
सुन्दर रचना 🙏
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