पृथ्वीराज चौहान
अजमेर की पावन धरती, जन्मे पृथ्वीराज चौहान
1149 में हुआ अवतरण, इतिहास में अंकित नाम
राजा सोमेश्वर और कपूरी देवी की थे वो संतान
12 वर्ष बाद पुत्र हुआ, राजा बाँटे स्वर्णों में दान
11 वर्ष की आयु में, पिता का साया सर से छीन गया
दायित्व निभाये कौन? राज्य राजा विहीन हुआ
वह तोमर वंश के अनंग पाल का दौहित्र, 'राय पिथौरा' नाम
दिल्ली और अजमेर का शासक सँभाला, किया बहुत काम
पृथ्वी राज और संयोगिता की है, अमर प्रेम कहानी
बिना देखे ही प्रेम हुआ, किस्सा है यह नूरानी
पृथ्वी राज का मान मर्दन हो, जयचंद अवसर खोजा करता था
संयोगिता स्वयंवर में पृथ्वी राज का, मूर्ति द्वारपाल बना रखा था
महफिल से संयोगिता को उठाया, लिया अर्धांगिनी मान
जयचंद से दुश्मनी बढ़ी, धूल - धूसिर हुआ सम्मान
मो० गौरी और पृथ्वी राज की, प्रथम युद्ध था बहुत खास
पृथ्वी ने लगभग 7 करोड़ अर्जित संपदा, दी सैनिकों में बाँट
पृथ्वी राज और गौरी द्वितीय युद्ध में, जयचंद बना काल
अपने अपमान का बदला लेने को, गौरी से लिया माल
जयचंद की गद्दारी ने, राजपूत सैनिक का संहार किया
दिल्ली, अजमेर, पंजाब तक, गौरी ने फिर राज किया
अमर राजपूत योद्धा ने, आत्म सम्मान को वरण किया
इतिहास में अंकित स्वर्णाक्षर मे, सबने उनको याद किया
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।
1149 में हुआ अवतरण, इतिहास में अंकित नाम
राजा सोमेश्वर और कपूरी देवी की थे वो संतान
12 वर्ष बाद पुत्र हुआ, राजा बाँटे स्वर्णों में दान
11 वर्ष की आयु में, पिता का साया सर से छीन गया
दायित्व निभाये कौन? राज्य राजा विहीन हुआ
वह तोमर वंश के अनंग पाल का दौहित्र, 'राय पिथौरा' नाम
दिल्ली और अजमेर का शासक सँभाला, किया बहुत काम
पृथ्वी राज और संयोगिता की है, अमर प्रेम कहानी
बिना देखे ही प्रेम हुआ, किस्सा है यह नूरानी
पृथ्वी राज का मान मर्दन हो, जयचंद अवसर खोजा करता था
संयोगिता स्वयंवर में पृथ्वी राज का, मूर्ति द्वारपाल बना रखा था
महफिल से संयोगिता को उठाया, लिया अर्धांगिनी मान
जयचंद से दुश्मनी बढ़ी, धूल - धूसिर हुआ सम्मान
मो० गौरी और पृथ्वी राज की, प्रथम युद्ध था बहुत खास
पृथ्वी ने लगभग 7 करोड़ अर्जित संपदा, दी सैनिकों में बाँट
पृथ्वी राज और गौरी द्वितीय युद्ध में, जयचंद बना काल
अपने अपमान का बदला लेने को, गौरी से लिया माल
जयचंद की गद्दारी ने, राजपूत सैनिक का संहार किया
दिल्ली, अजमेर, पंजाब तक, गौरी ने फिर राज किया
अमर राजपूत योद्धा ने, आत्म सम्मान को वरण किया
इतिहास में अंकित स्वर्णाक्षर मे, सबने उनको याद किया
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।
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