राहुल सांकृत्यायन
भिन्न -भिन्न हैं साहित्यकार भिन्न-भिन्न हैं काम,
उनमें से राहुल सांकृत्यायन है एक नाम,
हिंदी यात्रा साहित्य के पितामह कहलाए,
इतिहासविद, युग परिवर्तक थे महान।
9 अप्रैल 1893 जग से परिचय हुआ था,
विद्वता से महापंडित की उपाधि को छुआ था,
केदारनाथ पांडेय था इनका एक नाम,
दुर्लभ ग्रंथों की खोज में समूचा विश्व घूमा था।
घुमक्कड़ी ही था इनके जीवन का मंत्र,
गतिशीलता थी इनके लिए एक धर्म,
अनेक प्रांत की बोली, संस्कृत साहित्य का अध्ययन,
जिज्ञासु प्रकृति के राहुल पढ़े ग्रंथ हर धर्म।
36 भाषाओं के ज्ञाता, निबंध, कहानी लिखी,
आत्मकथा ,जीवनी, संस्मरण की विधा लिखी,
बहुमुखी प्रतिभा के धनी और थे विचारक,
"किन्नौर देश की ओर" "दार्जिलिंग परिचय" विधा रची।
कार्ल मार्क्स का प्रभाव था इनके जीवन पर,
कब्जा किया था साहित्य अकादमी पुरस्कार पर,
पद्मभूषण को भी किया था गौरवान्वित,
14 अप्रैल 1963 दार्जिलिंग में पूर्ण किया अंतिम सफर।
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