माखनलाल चतुर्वेदी

आओ बच्चों सुनो कहानी,

 एक बार की बात बताएँ।

आज तुम्हें एक प्रसिद्ध,

 ओजस्वी लेखक के बारे में बताएँ।।


सन् 1889 तारीख 4 अप्रैल,

माखन आए नंद के द्वार।

पाकर कर नन्हें माखन को,

हर्षित था पूरा परिवार।।


बड़े होकर हुए प्रसिद्ध,

नाटककार पत्रकार।

ओजपूर्ण भाषा के धनी,

हिंदी के रचनाकार।।


अपनी रचनाओं से वीरों में,

 किया  नए रक्त का संचार।

बनना पड़ा अंग्रेजों के,

 कोप भाजन का शिकार।।


प्रभा और कर्मवीर का संपादन,

उच्च पत्रकारिता दिखलाए।

 वही सविनय अवज्ञा में,

गिरफ्तारी का प्रथम सम्मान पाए।।


 पर बिना डिगे कर्तव्य पथ से,

देश हित में कार्य किया।

दिखाकर अपनी कलम की ताकत,

नवयुग का संचार किया।।


जहाँ पुष्प की अभिलाषा से,

 क्रांतिकारी संदेश दिया।

तो हिम किरीटनी काव्य से,

साहित्य का श्रंगार किया।।


डी लिट् साहित्य अकादमी,

पद्मभूषण से अलंकृत हुए।

जिनके सम्मान में 'एक भारतीय आत्मा'

समारोह आयोजित हुए।।


कलम की शक्ति को सत्य सिद्ध कर,

माखन बन गए माखनलाल।

माखन आपकी लेखनी को,

अर्पित है पुष्पों की माल।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



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