फूल
देखो कितने प्यारे फूल,
सुंदर-सुंदर न्यारे फूल।
सारे उपवन को महका दें,
रंग-बिरंगे प्यारे फूल।।
अपनी सुंदर कोमलता से,
सबके मन को भाते फूल।
टूट जाते डाली से,
फिर भी मुस्कुराते फूल।।
प्रकृति की हरियाली पर,
चार चाँद लगाते फूल।
अपने लघु जीवन से,
सबको सीख दे जाते फूल।।
कभी शीश पर, कभी हृदय पर,
कभी चरणों पर बिछ जाते फूल।
अपना जीवन अर्पण करके,
सदा दूसरों के काम आते फूल।।
रचनाकार
मृदुला वर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,
विकास खण्ड-अमरौधा,
जनपद-कानपुर देहात।
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