नव वर्ष की नव बेला

चैत्र मास की प्रतिपदा,

जीवन  नव  रंग लाया।

हर्षोल्लास  है छाया,

भारतीय नूतन वर्ष आया।


फूलों से डाली झुकी,

गेहूँ  की बाली  सजी।

कृषक के मन है भायी,

नव वर्ष की बेला आयी।


खेत खलियान लहरा रहे,

कृषक का मन हर्षा रहे।

दाने-दाने में स्वेद  की,

हर बूँद को चमका रहे।


धरती-अम्बर है उजियाला,

प्रकृति का रूप भी बदला।

मानव का हो सुखद सवेरा,

मौसम आया है अलबेला।


सुख-समृद्ध, सद्भाव रहें,

आरोग्य और दीर्घायु रहें।

करुणा  दया  मन में रहे,

मात-पिता की सेवा करते रहें।


 नव रात्रों में अर्चना करें,

हर  दिन यह  संकल्प  भरें।

माँ बेटी का सम्मान करेंगे,

नहीं कभी कोई दुष्कर्म करें।


रचयिता

सन्नू नेगी,

सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सिदोली,
विकास खण्ड-कर्णप्रयाग, 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।




Comments

  1. 🤗👌👌👌बहुतख़ूब

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  2. नववर्ष सम आपकी कवितायें भी मन में
    नव भाव , उमंग , सृजन को देती है जन्म ॥ 🙏🙏🙏🙏

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