प्यारी पृथ्वी

हमें मिले हैं इस वसुधा से, 

 बड़े अनोखे से उपहार|

 सूर्य, पवन, जल, जंगल, नदियाँ,        

करते जीवन का संचार|

 आओ सीखें धरती माँ से, 

 कैसे हम उपकार करें|

बुझे- बुझे से चेहरों को हम,   

खुशियों से साकार करें|

दीन -दुखी ना रहे कोई भी, 

 अन्न, वस्त्र की कमी ना हो|

 हम भी मानव, वह भी मानव,  

क्यों ना कुछ परोपकार करें|

छोटी-छोटी खुशियाँ देकर, 

 कदम बढ़ाए मानवता को, 

 अपने हिस्से से थोड़ी ही, 

 क्यों ना मदद हर बार करें|

 सूनी आँखों की वह रौनक, 

मुस्कान हमें दे जाएगी|

 आशा से भर दें एक जीवन,  

मानवता सफल हो जाएगी|


रचयिता

भारती खत्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,

विकास खण्ड-सिकंदराबाद,

जनपद-बुलंदशहर।



Comments

Total Pageviews