नाच ले बन्दे

धरती नाचे अम्बर नाचे,

नाचे सारा ब्रह्माण्ड।

नृत्य की है महिमा अपरम्पार,

सूरज नाचे चन्दा नाचे।

नाचे मेघों की बारात,

नृत्य की है महिमा अपरम्पार।।


सागर भी नाचे, पवन भी नाचे,

जंगल भी नाचे, पशु-पक्षी भी नाचे।

झूम झूम कर मनवा नाचे,

जब नाचे नदिया की धार।

नृत्य की है महिमा अपरम्पार।

धरती नाचे...........


नृत्य करे जब, दिल ये पावन,

खुशियों  से भर जाए दामन।

झूम झूम कर सावन नाचे,

आए झूलों की बहार।

नृत्य की है महिमा अपरम्पार।

धरती नाचे............


नृत्य भुलाए सब कुछ हमको,

चैन सुकून दे जाए हमको।

झूम झूम कर जो भी नाचे,

भागें उसके कष्ट  हज़ार।

नृत्य की है महिमा अपरम्पार।

घरती नाचे ...........


नृत्य जुनून है, नृत्य कला है,

सीखा जिसने, हुआ उसका भला है।

झूम झूम कर नाच ले बन्दे,

होगा जीवन खुशहाल।

नृत्य की है महिमा अपरम्पार।

धरती नाचे...........


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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